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क्या है कठुआ अपहरण, रेप और मर्डर मामला, जानिए, जुर्म, सबूत, पुलिस और हिंदू-मुस्लिम रंग

जम्मू। जम्मू के कठुआ ज़िले में एक 8 साल की बच्ची के अपहरण, रेप और हत्या की घटना के हिंदू-मुस्लिम रंग लेने के बाद देश ही नहीं, बल्कि दुनिया में ये वारदात सुर्खियां में है. हिंदू-मुस्लिम आधार पर कठुआ में वकीलों के जरिए क्राइम ब्रांच को चार्जशीट फाइल से रोकने की हरकत की हर तरफ निंदा हो रही है. अब सूबे की सीएम महबूबा मुफ्ती ने एलान किया है कि इंसाफ में किसी तरह की रुकावट बर्शात नहीं की जाएगी. उनका कहना है कि इस मामले में इंसाफ होगा.

पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए राज्य सरकार के एक पूर्व अधिकारी समेत सात अन्य लोगों को आरोपी बनाया है.

क्राइम ब्रांच ने इस मामले में हीरानगर के 60 साल के पूर्व राजस्व अधिकारी सांझी राम को मुख्य आरोपी और साजिशकर्ता बनाया है, जिसने इस घटना को सिर्फ उस इलाके में रह रहे अल्पसंख्यक जनजाति समुदाय के लोगों को डराने के लिए अंजाम दिया था.

साजिश 

क्राइम ब्रांच के सूत्रों की माने तो एक सोची समझी साजिश के तहत सांझी राम ने हीरानगर के दो नाबालिग युवकों (परवेश और शुभम) को इस घटना को अंजाम देने के लिए चुना. 10 जनवरी को जब 8 साल की आसिफा अपने पशुओं के साथ रसाना गांव पहुंची तो इन दोनों नाबालिगों ने उसका अपहरण किया और उसे पास के एक देवस्थान में ले गए. सूत्रों के मुताबिक उस देवस्थान की चाबियां सांझी राम के पास ही रहती हैं.

सूत्रों की मानें तो इस अपहरण को अंजाम देने के बाद सांझी राम ने जम्मू कश्मीर पुलिस में तैनात दो स्पेशल पुलिस ऑफिसर्स (एसपीओ – छोटे स्तर के जवान) दीपक और सुरेश को अपनी साजिश में शामिल किया. आरोप है कि बच्ची के अपहरण के बाद दीपक ने उसे बेहोश करने की दवाई दी  और लगतार उसे वो दवाई खिलाते रहे ताकि किसी को उनपर शक न हो. आरोप है कि उसी स्थान पर पहले दोनों नाबालिगों ने आसिफा के साथ रेप किया. आरोप यह भी है कि उसके साथ दोनों स्पेशल पुलिस ऑफिसर्स ने भो 14 जनवरी तक लगतार रेप किया.

बर्बरता

क्राइम ब्रांच की छानबीन यह सामने आया है कि 14 फरवरी को पहले इन चारों ने मिल कर आसिफा की गला घोंट कर हत्या की और फिर उसकी कमर की हड्डी को इस तरह से तोड़ा गया कि यह सारा मामला दुर्घटना का लगे. आसिफा की हत्या के बाद उसके शव को पास के जंगलों में फेंक दिया गया.

17 जनवरी को पुलिस को आसिफा का शव मिला और उसी दिन हीरानगर पुलिस ने इसकी जांच शुरू कर दी. आरोप है कि हीरानगर थाने में तैनात सब इंस्पेक्टर आनंद दत्ता और हेड कांस्टेबल तिलक राज ने मौके पर पहुंच कर सबसे पहले लड़की के शव को उठाया. इस मामले की जांच के लिए जब लड़की के कपड़े एफएसएल भजे गए तो सामने आया कि लड़की के कपड़ों पर किसी तरह का कोई निशान नहीं है और सुबूत मिटाने के मक़सद से कपड़ों को धो कर एफएसएल भेजा गया है. क्राइम ब्रांच ने इस मामले में सब इंस्पेक्टर आनंद दत्ता और हेड कांस्टेबल तिलक राज को गिरफ्तार किया है. क्राइम ब्रांच के सूत्रों की मानें तो अब इस मामले की जांच पूरी हो चुकी है.

 

परत दर परत जानें क्या है ये पूरा मामला:

दरअसल, 10 जनवरी को कठुआ ज़िले के रासना गांव में रहने वाले 8 साल की बच्ची आसिफा बानो रहस्यमय परिस्थितयों में दोपहर को लापता हो गई. लापता होने के बाद पूरा रासना गांव और पुलिस उसकी तलाश में जुट गया.

इस मामले में 11 तारीख को शिकायत लेकर आसिफा के पिता पुलिस के पास पहुंचे. मामले में 12 तारीख को पुलिस ने अपहरण का मामला दर्ज किया इसी बीच पुलिस और आसिफा के परिजनों ने उसकी तलाश जारी रखी और पूरे इलाके को खंगाला लेकिन आसिफा का कोई पता नहीं चला.

जनवरी को दोपहर बाद आसिफा का शव पुलिस को मिला और 17 जनवरी शाम को आसिफा के परिजन जम्मू पठानकोट हाईवे पर प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने निष्पक्ष जांच की मांग के साथ इलाके के एसएचओ को भी इस जांच से दूर रखने को कहा. उसी शाम पुलिस ने इस मामले में दर्ज हुई एफआईआर में हत्या समेत दूसरी धाराएं जोड़ीं और मामले की जांच के लिए एक स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम का गठन किया.

18 जनवरी को ही पुलिस इस मामले में एक 15 साल के नाबालिग युवक को गिरफ्तार किया. यह जांच आगे बढ़ती उससे पहले ही पुलिस हेडक्वार्टर्स ने इस मामले की जांच का ज़िम्मा एडिशनल एसपी साम्बा के ज़िम्मे सौंपने का आदेश जारी किया और हीरानगर एसएचओ को ससपेंड कर दिया.

22 जनवरी को पुलिस ने इस मामले की जांच क्राइम ब्रांच के हवाले कर दी.  क्राइम ब्रांच ने पुलिस में ही तैनात दो स्पेशल पुलिस ऑफिसर्स को गिरफ्तार कर लिया. इन दोनों एसपीओ की पहचान दीपक खजुरिया और सुरिंदर वर्मा के रूप में हुई.

स्थानीय लोगों ने इस मामले की संवेदनशीलता तो देखते हुए जांच सीबीआई से कराने की मांग की. इस मांग को अंतिम रूप तक पहुंचाने के लिए 23 जनवरी को एक गैर राजनीतिक संगठन बनाया गया जिसका नाम हिन्दू एकता मंच रखा गया. इसका चेयरमैन सरकार में शमिल बीजेपी के राज्य सचिव विजय शर्मा को बनाया गया.

विजय शर्मा का दावा है कि मंच गैर राजनैतिक है और बीजेपी से इस मंच का कोई लेना देना नहीं है. वो यह भी दावा कर रहे हैं कि इस मंच को इलाके के लोगों की भावनाओं को ध्यान में रख कर बनाया गया है और इसमें दूसरे दलों के भी नेता हैं.

मामले पर क्यों हो रही है राजनीति

· दरअसल रसाना गांव हिंदू बाहुल्य इलाका है और जंगल में गुर्जर और बकरवाल मुसलमान चरवाहों के साथ आते हैं. बच्ची उसी परिवार से थी.

· हिंदुओं का कहना है कि जमीन पर कब्जा हो रहा है और पशु खेत में जा रहे हैं.

· दो एसपीओ जो गिरफ्तार हुए हैं वो उसी रसाना गांव के हैं. मुसलामानों से इनकी झड़प होती रहती थी.

· अब इस मुद्दे में हिंदू रक्षा मंच ने सीबीआई जांच मांग की है और कहा कि रेप जिसने किया है उसे फांसी होनी चाहिए.

· हिंदू रक्षा मंच का कहना है कि ये हिंदुओं के खिलाफ साजिश है.

मामले ने कब तूल पकड़ा?

जम्मू में वकीलों ने बंद का एलान किया. कठुआ में वकीलों ने पुलिस को इस मामले में चार्जशीट दाखिल करने से रोका. वकीलों के इसल अभियान को सूबे के मंत्रियों का भी समर्थन है. इनका कहना है कि इस केस की जांच सीबीआई को सौंपी जाए. हिंदू-मुस्लिम आधार पर वकीलों की इस मांग को सभ्य समाज में हैरत की नजर से देखा जा रहा है.