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क्या चंद्रबाबू नायडू से दोस्ती में दरार से BJP को हो रहा फायदा? समझें पूरा राजनीतिक दांव-पेंच

नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की मांग पर अड़े मुख्यमंत्री चंदबाबू नायडू ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से दोस्ती तोड़ने का फैसला लिया है. इस राजनीतिक फैसले के पीछे दोनों पार्टियों का हित की बात कही जा रही है. माना जा रहा है कि आंध्र प्रदेश के लिए विशेष दर्जे की मांग पर केंद्र सरकार से टीडीपी मंत्रियों का इस्तीफा अगर उनके लिए राजनीतिक मजबूरी थी, तो भविष्य में गठबंधन टूटना बीजेपी के लिए अवसर भी हो सकता है. बीजेपी यह मानकर चल रही है कि बहुदलीय आंध्र में अगर अकेले भी लड़ना पड़े तो नुकसान की आशंका बहुत कम है.

महाराष्ट्र फॉर्मूले को आजमाना चाह रही है बीजेपी
कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली की ओर से चंद्रबाबू नायडू को समझाने की कोशिश जरूर हुई, लेकिन ज्यादा मान मनौवल से परहेज किया गया है. बीजेपी के इस कदम को महाराष्ट्र से जोड़कर देखा जा रहा है. महाराष्ट्र में मुख्य रूप से चार पार्टियां (शिवसेना, एनसीपी, कांग्रेस और बीजेपी दांव आजमा रही थीं. ऐसे में बीजेपी को शिवसेना से अलग होकर चुनाव में उतरने का फायदा हुआ था. कहा जा रहा है कि बीजेपी यही उम्मीद आंध्र प्रदेश में भी लगाए हुए है.

बीजेपी नेताओं का मानना है कि आंध्र में टीडीपी, वाइएसआर, कांग्रेस, जनसेना जैसी कई पार्टियां हैं और बहुकोणीय मुकाबले में मोदी के चेहरे के साथ बीजेपी कुछ खोने के बजाय ज्यादा पाएगी. वैसे भी कुछ महीने पहले हुए जिला परिषद चुनाव में टीडीपी के रुख ने बीजेपी को आशंकित ही ज्यादा किया था.

बीजेपी के थिंकटैंक का मानना है कि जिस तरह से देश के हर हिस्से में समर्थन मिल रहा है उसके बाद आंध्र प्रदेश में विस्तार के लिए भी यह अवसर है. इस समय आंध्र प्रदेश से बीजेपी के महज दो सांसद और चार विधायक हैं, जबकि राज्य में लोकसभा की 25 सीटें हैं. लोकसभा चुनाव में टीडीपी ने बीजेपी को सिर्फ चार सीटें दी थीं और पार्टी को सात फीसद वोट मिला था. विधानसभा में महज दो फीसद वोट मिला.

जुबानी जंग में बीजेपी ने टीडीपी को ठहराया अवसरवादी
केंद्र सरकार से तेदेपा के दो मंत्रियों के इस्तीफे पर बीजेपी ने कहा है कि अगले साल विधानसभा चुनाव से पहले यह क्षेत्रीय पार्टी की राजनीतिक मजबूरियों का अपरिहार्य परिणाम है. आंध्र प्रदेश के बीजेपी प्रमुख के हरि बाबू ने तेदेपा और उसकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी वाईएसवाई कांग्रेस के बीच वाक् युद्ध के संदर्भ में कहा कि राज्य में विशेष श्रेणी के दर्जे को लेकर राजनीतिक तौर पर एक दूसरे से श्रेष्ठ बनने का दौर चल रहा है. उन्होंने कहा कि मंत्रियों के इस्तीफे अगले साल विधानसभा चुनाव से पहले की एक राजनीतिक चाल से ज्यादा कुछ नहीं है.

बीजेपी के राज्य से दो लोकसभा सदस्य हैं और वह घटनाक्रम से ज्यादा चिंतित नहीं है. पार्टी के प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने कहा कि भाजपा में आंध्र प्रदेश में तीसरे विकल्प के तौर पर उभरने की क्षमता है और अलग अलग राज्यों में हमारा ट्रैक रिकॉर्ड इसकी गवाही देता है. हम अहम राजनीतिक ताकत बनने के लिए वहां लोगों के लिए काम करना जारी रखेंगे. फिलहाल तेदेपा एनडीए का हिस्सा बनी रहेगी.

बीजेपी के सूत्रों का कहना है कि अगर पार्टी अकेले चुनाव लड़ती है तो वह राज्य में अपना विस्तार कर सकती है जहां उसकी हमेशा से सीमित मौजूदगी रही है.