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कोरोना संकट के बीच स्कूलों को खोलने पर अनिर्णय की स्थिति में ज्यादातर राज्य : रिपोर्ट

नई दिल्ली। कोरोना संकट के बीच स्कूलों को खोलने की संभावनाओं को टटोलने में जुटी केंद्र सरकार के सामने जो रूझान सामने आए हैं, उनमें ज्यादातर राज्य फिलहाल अभी स्कूलों को खोलने को लेकर अनिर्णय की स्थिति में हैं। राज्‍यों का कहना है कि उन्होंने अभी इसे लेकर कोई फैसला नहीं लिया है। हालांकि, इस बीच आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल जैसे कुछेक राज्यों ने सितंबर में स्कूलों को खोलने की उम्मीद जताई है।

केंद्र सरकार ने मांगी थी राय

अनलाक-2 के खत्म होने से पहले मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से स्कूलों के खोलने को लेकर राय मांगी थी। 15 जुलाई के आसपास मांगी गई इस जानकारी में राज्यों से जो जानकारी निकलकर सामने आई है उनमें ज्यादातर राज्यों ने साफ कहा है कि उन्होंने इसे लेकर अब तक कोई भी फैसला नहीं लिया है। इनमें ज्यादातर राज्य ऐसे थे जिनका कहना है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय की गाइडलाइन के आधार पर ही वह फैसला लेंगे।

वैसे भी अनलाक-2 की समयसीमा 31 जुलाई को खत्म हो रही है। ऐसे में अनलाइन-3 आने से पहले राज्यों की राय काफी अहम होगी। मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, राज्यों के साथ वीडियों कांफ्रेस के दौरान यह राय पूछी गई थी, जिसके बाद अब आगे की रणनीति तय की जा रही है। इस बीच मंत्रालय ने अभिभावकों से भी स्कूलों के खोलने को लेकर राय पूछी है। इसकी रिपोर्ट अभी आना बाकी है।

इसके बाद स्कूलों को खोलने पर कोई भी अंतिम फैसला हो सकेगा। हालांकि सूत्रों की मानें तो जिन राज्यों में कोरोना संक्रमण की स्थिति सामान्य है, उन्हें कुछ सुरक्षा शर्तों के साथ स्कूलों को खोलने की छूट दी जा सकती है। वैसे भी मार्च से स्कूलों के लगातार बंद रहने से इन्हें खोलने का दबाव है। लेकिन बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए कोई भी इसे लेकर जोखिम नहीं उठाना चाहता है। यही वजह है कि जो भी फैसला होगा, वह अभिभावकों और राज्यों की रायसुमारी के बाद ही होगा।

हरियाणा, बिहार और दिल्ली की राय 

स्कूलों को खोलने को लेकर राज्यों से मांगी गई राय में हरियाणा, बिहार, दिल्ली और चंडीगढ ने अगस्त में ही इन्हें खोलने की इच्छा जताई है। इनमें हरियाणा और बिहार ने 15 अगस्त भी तारीख तय की है। हालांकि कोरोना संक्रमण की जो रफ्तार है, उसे देखते हुए अभी भी कुछ कहना जल्दबाजी है। यही वजह है कि मंत्रालय इसे लेकर और भी स्तरों पर रायसुमारी करा रहा है। इनमें स्वास्थ्य मंत्रालय की भी राय को महत्‍वपूर्ण माना जा रहा है।