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‘कांग्रेस हिंदू धर्म और हिंदुत्व के खिलाफ’, राम मंदिर निमंत्रण के अस्वीकार पर बोले सुधांशु त्रिवेदी.-गांधी जी की कांग्रेस और नेहरू की कांग्रेस में बहुत अंतर

कांग्रेस द्वारा अयोध्या में राम मंदिर के ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह में शामिल होने के निमंत्रण को अस्वीकार करने पर, भाजपा लगातार देश की सबसे पुरानी पार्टी पर हमलावार है। आज भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने वार करते हुए कहा कि कांग्रेस ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया। कांग्रेस ने G20 समिट का बहिष्कार किया…2004 के बाद 2009 तक कांग्रेस ने कारगिल विजय दिवस का बहिष्कार किया। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के नेतृत्व में मई 1998 में किये गये पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद कांग्रेस ने 10 दिनों तक कोई बयान नहीं दिया।

इसके साथ ही भाजपा नेता ने दावा किया कि कांग्रेस ने भी अपनी पार्टी के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के भारत रत्न समारोह का बहिष्कार किया था। जनता भी उनका सत्ता से बहिष्कार कर रही है। उन्होंने कहा कि ये नेहरू की कांग्रेस है, ये गांधी की कांग्रेस नहीं है। महात्मा गांधी ‘रघुपति राघव राजा राम’ गाते थे और आज कांग्रेस ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह में शामिल नहीं हो रही है। इससे पता चलता है कि कांग्रेस हिंदू धर्म और हिंदुत्व के खिलाफ है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि किसी भी अच्छे से अच्छे अनुष्ठान में विघ्न उत्पन्न करके संतोष प्राप्त करने वाली प्रव्रत्ति की परिचायक कांग्रेस के साथ पता नहीं कौन सी समस्या है कि भारत का इतिहास जब-जब करवट ले रहा होता है, तब-तब वो उस अवसर के साथ खड़े न होकर उसका बहिष्कार करते हैं।

 

सुधांशु त्रिवेदी ने आगे कहा कि जब सोमनाथ मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हो रही थी, तो जवाहरलाल नेहरू जी ने 24 अप्रैल, 1951 को उस समय सौराष्ट्र के प्रमुख को लिखा था कि ‘इस कठिन समय में इस समारोह के लिए दिल्ली से मेरा आना संभव नहीं है। मैं इस पुनरुत्थानवाद से बहुत परेशान हूं, मेरे लिए बहुत कष्टकारक है कि मेरे राष्ट्रपति, मेरे कुछ मंत्री और आप सोमनाथ के इस समारोह से जुड़े हुए हैं और मुझे लगता है कि ये मेरे देश की प्रगति के अनुरूप नहीं है, इसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे।

 

भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस के पास इस बार मौका था कि आप अपने को बदल कर दिखा सकते थे। परंतु इन्होंने इस बार भी ये नहीं किया। उन्होंने कहा कि आज रामराज्य की प्राण प्रतिष्ठा का श्रीगणेश हो रहा है, लेकिन कांग्रेस उसके पक्ष में नहीं है। इससे साफ है कि गांधी जी की कांग्रेस और नेहरू की कांग्रेस में बहुत अंतर है।