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आरक्षण पर मोदी का बयान बस जुमला: मायावती

P Mayawatiलखनऊ। आंबेडकर का भक्त होने का दावा करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आरक्षण के बयान पर बीएसपी प्रमुख मायावती ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि दलित समाज इस तरह के जुमलों से सावधान रहे। एक ओर आरएसएस और उसके राजनीतिक संगठन बीजेपी की केंद्र की सरकार की कथनी और करनी में बहुत फर्क है। ऐसे में पीएम मोदी सफाई देते हैं कि दलितों से आरक्षण कोई नहीं छीन सकता। वह चाहे जितनी सफाई दें, लेकिन उनकी इस बात पर लोगों का विश्वास करना मुश्किल ही नहीं असंभव है।

मायावती ने कहा है कि वास्तव में लोगों को यह सब भी उसी तरह जुमलेबाजी लगती है, जैसे उन्होंने विदेशों से काला धन  वापस लाने का का वादा किया था। उन्होंने कहा कि आरक्षण पर जैसे ही संघ की ओर से विवादित बयान आता है, तभी पीएम यह सफाई देते हैं कि आरक्षण दलितों का हक है। मायावती ने कहा कि हकीकत यही है कि आरएसएस और बीजेपी में जातिवादी मानसिकता रखने वालों ने ही दलितों और उनके मसीहा बाबा साहब आंबेडकर का भला नहीं होने दिया। अब वे अपनी सरकार की विफलता पर पर्दा डालने के लिए कई हथकंडे अपना रहे हैं। उनके नाम पर संग्रहालय बनाने सहित कई बरगलाने वाले काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश की जनता और खासतौर से यूपी, उत्तराखंड और पंजाब के लोगों को ऐसे लोगों से सावधान रहने की जरूरत है।

मायावती ने कहा है कि दलित सदियों से गुलामी और अपमान झेलते चले आ रहे हैं। बाबा साहब ने उनके लिए आरक्षण की व्यवस्था की थी। यह उनका संवैधानिक हक है। कांग्रेस और बीजेपी की मिलीभगत और दलित विरोधी मानसिकता के कारण उन्हें 68 साल तक दलितों को उनका हक नहीं मिल सका। बीजेपी और आरएसएस के कट्टर हिंदुत्ववादी मानसिकता वाले लोग नहीं चाहते कि दलितों को उनका हक मिले।

प्राइवेट सेक्टर में लागू करें आरक्षण
मायावती ने कहा कि यदि वास्तव में पीएम मोदी की सरकार हृदय परिवर्तन करके दलित हितैषी बनना चाहती है तो वह ठोस कदम उठाएं। वह सरकारी नौकरियों में रुकी आरक्षण में प्रमोशन की व्यवस्था को बहाल करें। इस बारे में राज्य सभा में लंबित संशोधन विधेयक पास करे। इसके साथ ही प्राइवेट सेक्टर और न्यायपालिका में आरक्षण की व्यवस्था करें।

बीएसपी सुप्रीमो ने यह भी कहा कि आरक्षण पर बयान के जरिए सफाई देने के बजाय पीएम मोदी पहले अपनी पार्टी, सरकार और आरएसएस के लोगों पर अंकुश लगाएं, जो आए दिन आरक्षण पर विवादित बयानबाजी करते रहते हैं। इस बारे में उपेक्षित जुमलेबाजी से दलितों का भला नहीं होगा।