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अपने चार साल के कार्यकाल में सबसे ज्यादा पत्र मैंने मुख्यमंत्री योगी को ही लिखे हैं : राज्यपाल नाईक

लखनऊ। राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि उत्तर प्रदेश में अभी कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर काफी काम होना बाकी है। संतोष की बात यह है कि कानून-व्यवस्था को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ काफी संवेदनशील हैं। इसलिए स्थिति में लगातार सुधार हो रहा है। यही वजह है कि यूपी में बड़ी संख्या में बाहरी निवेशक भी आ रहे हैं।

राज्यपाल राम नाईक रविवार को राजभवन में चार साल पूरे होने पर ‘राजभवन में राम नाईक 2017-18’ स्मारिका के विमोचन अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि इस सरकार में भी वे कानून-व्यवस्था के सवाल पर लगातार सरकार को पत्र लिखते हैं। सीएम के प्रमुख सचिव पर भ्रष्टाचार के आरोप के बाबत सवाल पर उन्होंने कहा, इस संबंध में एक पत्र मुझे मिला था। इसे सीएम को रूटीन प्रक्रिया के तहत सीएम को भेज दिया था।

राज्यपाल ने कहा कि अपने चार साल के कार्यकाल में सबसे ज्यादा पत्र उन्होंने मुख्यमंत्री योगी को ही लिखे हैं। वर्ष 2017-18 में योगी आदित्यनाथ को 450 पत्र लिखे, जबकि 2015-16 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को 398 पत्र भेजे थे। विगत चार वर्षों में 24968 लोगों से वे राजभवन में मिल चुके हैं। प्रदेश के कोने-कोने से आए 1.82 लाख पत्रों पर कार्रवाई के आदेश दिए हैं। राज्यपाल ने सहयोग के लिए अपने मीडिया प्रभारी अंजुम की सराहना भी की।

अधिकांश समय यूपी में ही बिताया

राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि वर्ष 2007 के बाद वर्ष 2018 में विधान मंडल में पूरा अभिभाषण पढ़ने वाले वे पहले गवर्नर हैं। विभिन्न संगठनों और लोगों से मिले ज्ञापनों पर कार्रवाई के लिए मुख्यमंत्री और मंत्रियों को लगातार डीओ लेटर भी लिख रहे हैं।

पहले अधिकतर राज्यपाल अपने गृह प्रदेश में रहते थे, जबकि वे अपना अधिकांश समय यूपी में ही बिताते हैं। वर्ष 2017 और 2018 में उन्होंने कोई व्यक्तिगत अवकाश नहीं लिया। 2017 में मात्र 24 दिन ही प्रदेश से बाहर विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लेने गए। पहली बार नेशनल बुक ट्रस्ट ने संस्कृत में उनकी पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!’ प्रकाशित की। जल्द ही जर्मन, फारसी और अरबी में भी इसका अनुवाद आएगा।

राजनीतिक आक्षेपों का नहीं देता जवाब
राज्यपाल ने कहा कि लोकायुक्त की रिपोर्ट वे प्रदेश सरकार को भेज देते हैं। आगे की कार्रवाई का निर्णय सरकार को लेना होता है। विपक्षी नेता कहते हैं कि कभी-कभी राज्यपाल के भीतर आरएसएस की आत्मा जाग जाती है, नाईक ने कहा कि राजनीतिक सवालों के जवाब देना उनके पद की गरिमा के अनुरूप नहीं है।

यूजीसी के निर्देशों का पालन करते हुए भर्तियां रोकें राज्य विवि

राज्यपाल ने एक सवाल के जवाब में कहा कि आरक्षण के मुद्दे पर विवाद उठने के बाद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सभी विश्वविद्यालयों से शिक्षकों की भर्तियां अगले आदेश तक रोकने के लिए कहा है। इसका पालन सभी राज्य विश्वविद्यालयों को करना चाहिए। जो विश्वविद्यालय ऐसा नहीं कर रहे हैं, वहां जांच कराकर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि सभी विश्वविद्यालयों को अपने यहां छात्रसंघ चुनाव कराने चाहिए।

यहां बता दें कि विश्वविद्यालयों में वर्ष 2006 से आरक्षण का रोस्टर लागू है। इसके तहत विश्वविद्यालय को इकाई मानकर ओबीसी और एससी व एसटी के लिए आरक्षण लागू किया जाता था। पिछले साल 7 अप्रैल को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसे रद्द कर दिया। कहा कि विभागों को इकाई मानकर आरक्षण लागू किया जाए।

यूजीसी ने हाईकोर्ट ने आदेशानुसार विभागों को इकाई मानकर आरक्षण लागू करने व भर्ती के निर्देश दिए तो हंगामा मच गया। संसद में सवाल उठने के बाद सभी भर्तियां रोक दी गईं। इस बाबत यूजीसी ने 19 जुलाई को आदेश जारी कर दिया।