नई दिल्ली। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने दलित छात्र रोहित वेमुला के निलंबन के संबंध में हैदराबाद यूनिवर्सिटी पर दबाव बनाए जाने के आरोपों से इनकार किया है। दलित छात्र रोहित ने निलंबन से तंग आकर रविवार को खुदकुशी कर ली थी।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के प्रवक्ता घनश्याम गोयल ने कहा, ‘यह कहना गलत होगा कि मंत्रालय ने हैदराबाद यूनिवर्सिटी पर कोई दबाव बनाया। मंत्रालय ने सेंट्रल सेक्रटरियट मैन्युअल ऑफ ऑफिस प्रसीजर के मुताबिक केवल प्रक्रिया का पालन किया।’
प्रवक्ता ने कहा, ‘प्रक्रिया के मुताबिक अगर किसी वीआईपी का अनुमोदन होता है तो उसे 15 दिनों में संज्ञान में लेना होता है और अगले 15 दिनों में जवाब देना होता है। चूंकि यूनिवर्सिटी की तरफ से कोई जवाब नहीं मिल रहा था इसलिए मंत्रालय को रिमाइंडर भेजना पड़ा।’
मंत्रालय की कार्रवाई को उचित ठहराते हुए अधिकारी ने कहा कि कैबिनेट की बैठक में भी मंत्रालय को लंबित आश्वासनों, वीआईपी अनुमोदन, शिकायतों का विस्तृत ब्यौरा देना होता है।
सूत्रों के मुताबिक मंत्रालय ने पहली चिट्ठी तीन सितम्बर 2015 को मंत्रालय को भेजी थी और बाद में 24 सितम्बर, छह अक्टूबर, 20 अक्टूबर और 19 नवम्बर को रिमाइंडर भेजे गए। अधिकारियों ने बताया कि यूनिवर्सिटी ने मामले में सात जनवरी को जवाब दिया।
यूनिवर्सिटी कैम्पस में छात्रों के दो गुटों के बीच झड़प होने के बाद दत्तात्रेय ने मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी को चिट्ठी लिखी थी। झड़प में एबीवीपी के नेता सुशील कुमार पर कथित रूप से हमला किया गया था। इस मामले में पिछले साल अगस्त में जिन पांच पीएचडी स्टूडेंट्स को निलंबित किया गया उनमें दलित पीएचडी छात्र रोहित वेमुला भी थे जिन्होंने रविवार रात खुदकुशी कर ली। वेमुला को छात्रावास से भी निकाल दिया गया था।
इस घटना ने तब राजनीतिक रंग ले लिया जब आरोप लगाए गए कि दत्तात्रेय के इशारे पर दलित छात्रों के खिलाफ भेदभाव के कारण वेमुला ने आत्महत्या का कदम उठाया।