नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री एम वेंकैया नायडू ने भारत माता की जय कहने से इनकार करने वालों पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस और योग गुरू रामदेव की ओर से की गई टिप्पणियों से मंगलवार को असहमत जताते नजर आए। उन्होंने कहा कि ये ऐसे विचार हैं जिसे सरकार की ओर से किसी आदेश द्वारा अधिकृत नहीं किया गया है।
एक अन्य केंद्रीय मंत्री नजमा हेपतुल्ला ने टिप्पणियों के महत्व को कमतर करने का प्रयास किया और कहा कि ऐसी टिप्पणियों पर विवाद इसलिए खड़ा किया जाता है ताकि एनडीए सरकार का ध्यान उसके विकास कार्यों से बंटाया जा सके। नायडू ने फड़णवीस की टिप्पणी पर कहा, ‘वह उनका विचार है और मैं उनसे सहमत नहीं हूं। क्या सरकार ने कोई परिपत्र जारी करके कहा है कि जो भारत माता की जय नहीं कहेंगे उन्हें देश छोड़ देना चाहिए?’
नायडू ने कहा कि भारत माता की जय का नारा बाध्यकारी नहीं है और उसे किसी पर किसी सरकारी आदेश द्वारा थोपा नहीं गया है। यद्यपि यह एक भावनात्मक मुद्दा है और सभी की संवेदनाओं का ध्यान रखा जाना चाहिए। नारे पर आरएसएस महासचिव भैयाजी जोशी की टिप्पणी पर उन्होंने कहा, ‘लोगों के कड़े विचार हैं। यह सकारात्मक है। मैं भी मानता हूं कि कुछ भी गलत नहीं है। भगत सिंह ने भी जेल में भारत माता की जय और वंदे मातरम कहा था। वह एक प्रेरणा है।’
नायडू ने रामदेव की टिप्पणियों से भी असहमति जताई और कहा कि वह उनके निजी विचार हैं, सरकार के नहीं हैं। जोशी ने कहा था कि जो लोग इस भूमि को अपनी माता मानते हैं उन्हें भारत माता की जय कहना चाहिए। फड़णवीस ने कहा था कि भारत माता की जय नहीं कहने वालों को देश छोड़ देना चाहिए। रामदेव ने कहा था कि कानून नहीं होता तो भारत माता की जय कहने से इनकार करने वालों के सिर कलम कर दिये जाते।