नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पी ए संगमा के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि पूर्वोत्तर के विकास में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है। संगमा का शुक्रवार सुबह यहां दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 69 वर्ष के थे। प्रधानमंत्री ने संगमा के निधन पर शोक जाहिर करते हुए उन्हें अपनी मेहनत के बल पर राजनीतिक परिदृश्य और समाज में जगह बनाने वाला नेता बताया। मोदी ने साथ ही कहा कि पूर्वोत्तर के विकास में संगमा का बहुत बड़ा योगदान रहा है और वह उनके निधन से दुखी हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘लोकसभा स्पीकर के तौर पर संगमा के कार्यकाल को भुलाया नहीं जा सकता। उनका जमीन से जुड़ा विनम्र व्यक्तित्व और उनके मिलनसार स्वभाव ने हर किसी को आकर्षित किया।’ मोदी ने साथ ही कहा, ‘संगमा जी नेताजी बोस से गहरे तक प्रभावित थे।’
Sangma ji was deeply influenced by Netaji Bose. Here’s a programme both of us attended in 2012 on Azad Hind Fauj. https://t.co/Jbp1emCrVe
— Narendra Modi (@narendramodi) March 4, 2016
संगमा नौ बार लोकसभा के सदस्य रहे और 11वीं लोकसभा के अध्यक्ष चुने गए। उन्होंने केंद्र सरकार में भी कई महत्वपूर्ण विभागों की कमान संभाली। वह 1988 से 1990 के बीच मेघालय के मुख्यमंत्री और 1990 से 1991 तक राज्य विधानसभा में नेता विपक्ष रहे। एक सितंबर, 1947 को मेघालय के पश्चिमी गारो हिल्स जिले की खूबसूरत वादियों में बसे गांव छपाहाती में जन्मे संगमा का बचपन इसी छोटे से आदिवासी गांव में बीता और उन्हें जिंदगी में कड़ा संघर्ष करना पड़ा।
Shri PA Sangma was a self-made leader whose contribution towards the development of the Northeast is monumental. Saddened by his demise.
— Narendra Modi (@narendramodi) March 4, 2016
सेंट एंथनी कालेज से स्नातक करने के बाद वह असम के डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय में अध्ययन के लिए चले गए जहां उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संबंध विषय पर स्नातकोत्तर डिग्री हासिल की और उसके बाद उन्होंने विधि विषय में भी डिग्री हासिल की। राजनीतिक रूप से कांग्रेसी रहे संगमा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के संस्थापक सदस्य थे लेकिन जुलाई 2012 में NCP से निष्कासित किए जाने के बाद उन्होंने जनवरी 2013 में नैशनल पीपल्स पार्टी का गठन किया था। भारत के राष्ट्रपति पद की दौड़ से हटने से इंकार करने के चलते NCP ने उन्हें पार्टी से निष्कासित किया था।
Shri PA Sangma’s tenure as Lok Sabha Speaker is unforgettable. His down to earth personality & affable nature endeared him to many.
— Narendra Modi (@narendramodi) March 4, 2016
पूर्व लोकसभा स्पीकर पी. ए. संगमा नहीं रहे, लोकसभा मंगलवार तक के लिए स्थगित
नई दिल्ली। पूर्व लोकसभा स्पीकर पी. ए. संगमा का शुक्रवार को 69 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। साल 1996 में संयुक्त मोर्चा की सरकार के समय लोकसभा के अध्यक्ष रहे संगमा प्रणव मुखर्जी के खिलाफ राष्ट्रपति का चुनाव लड़े थे।
पी. ए. संगमा के निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के बाद लोकसभा की बैठक शुक्रवार दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई। सदन की कार्यवाही शुरू होने पर अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सुबह में संगमा के निधन होने की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सदन की कार्यवाही आनंदपूर्ण माहौल में कैसे चलाते हैं, सच कहें तो इसके बारे में उन्हें संगमा से सीखने को मिला। संगमा 11वीं लोकसभा में स्पीकर चुने गए थे।
PM ने जताया शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पी ए संगमा के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि पूर्वोत्तर के विकास में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है। प्रधानमंत्री ने संगमा के निधन पर शोक जाहिर करते हुए उन्हें अपनी मेहनत के बल पर राजनीतिक परिदृश्य और समाज में जगह बनाने वाला नेता बताया।प्रधानमंत्री ने कहा, ‘लोकसभा स्पीकर के तौर पर संगमा के कार्यकाल को भुलाया नहीं जा सकता। उनका जमीन से जुड़ा विनम्र व्यक्तित्व और उनके मिलनसार स्वभाव ने हर किसी को आकर्षित किया।’ मोदी ने साथ ही कहा, ‘संगमा जी नेताजी बोस से गहरे तक प्रभावित थे।’
नौ बार के सांसद
अध्यक्ष ने कहा कि उनकी संसदीय दक्षता और प्रक्रियाओं एवं नियमों के बारे में व्यापक ज्ञान से सदन में उन्हें सभी वर्गों का आदर और सम्मान प्राप्त हुआ। संगमा नौ बार लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। वह वर्तमान लोकसभा के सदस्य थे। वे 1988 से 1990 तक मेघालय के मुख्यमंत्री तथा केंद्रीय मंत्रिमंडल में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे। उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व किया।अध्यक्ष ने कहा कि संगमा ने गरीबों और समाज के वंचित वर्गों के कल्याण के लिए काम किया। उन्होंने तीन किताबें भी लिखीं। सदन ने संगमा के सम्मान में कुछ मिनट का मौन रखा और फिर सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई।
Lok Sabha adjourned till March 8 after paying tribute to PA Sangma
— ANI (@ANI_news) March 4, 2016
सोनिया गांधी के नेतृत्व को चुनौती देने के कारण उन्हें शरद पवार और तारिक अनवर के साथ कांग्रेस पार्टी से 1999 में निकाल दिया गया था। संगमा नैशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से थे, हालांकि बाद में शरद पवार से मतभेदों के चलते उन्होंने अलग पार्टी नैशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी) बना ली थी। वाजपेयी सरकार के समय गठित किए गए संविधान समीक्षा आयोग में भी संगमा एक सदस्य थे।