लंदन। ब्रिटेन की जनता ने ऐतिहासिक फैसले में यूरोपियन यूनियन छोड़ने के पक्ष में मतदान किया है। इसके साथ ही 28 देशों वाले यूरोपियन यूनियन से ब्रिटेन अलग हो जाएगा। 43 साल बाद हुए इस ऐतिहासिक जनमत संग्रह में ब्रिटेन की जनता ने मामूली अंतर से ब्रिटेन को यूरोपियन यूनियन से अलग करने के पक्ष में वोट किया है। ईयू छोड़ने के पक्ष में 52 पर्सेंट और इसके खिलाफ 48% लोगों ने वोट किया। लंदन और स्कॉटलैंड ने यूरोपियन यूनियन में रहने के पक्ष में मतदान किया था लेकिन उत्तरी इंग्लैंड में लोगों ने ईयू से अलग होने के पक्ष में मतदान किया।
ईयू के गठन के बाद ब्रिटेन इसे छोड़ने वाला पहला देश बन गया है। हालांकि इस वोटिंग के नतीजे का मतलब यह नहीं हुआ कि ब्रिटेन तत्काल 28 देशों वाले यूरोपियन यूनियन से बाहर हो जाएगा। इस प्रक्रिया को पूरा होने में कम से कम दो सालों का वक्त लगेगा। कहा जा रहा है कि यह 2020 से पहले संभव नहीं होगा। तब तक ब्रिटेन में आम चुनाव भी आ जाएगा। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन के लिए यह नतीजा खतरे की घंटी है। विपक्षी पार्टियों ने उनसे अपने पद पर बने रहने पर विचार करने के लिए कहा है।
जनमत संग्रह का टर्नआउट 71.8% रहा। 30 मिलियन से ज्यादा लोग इस जनमत संग्रह में शामिल हुए। 1992 के बाद यह सबसे बड़ा टर्नआउट है। इस नतीजे के बाद ब्रिटेन की करंसी पाउंड 1985 के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। जनमत संग्रह का टर्नआउट पिछले साल हुए आम चुनाव से भी ज्यादा रहा।
ईयू से हटने की आशंका के कारण ही ब्रिटेन की करंसी पाउंड डॉलर के मुकाबले कमजोर होने लगा था। नतीजे आने के बाद इसमें ऐतिहासिक गिरावट आई। ब्रिटेन में ईयू विरोधी और इसके पक्षधरों को बीच पहले कांटे की टक्कर थी। शुक्रवार को जब हुए जनमत संग्रह के वोटों की गिनती शुरू हुई तो ईयू से ब्रिटेन को बाहर करने वालों को दबदबा साफ दिखने लगा था। ब्रिटेन की जनता के इस फैसले का असर पूरी दुनिया में देखा जा रहा है। इंडियन शेयर मार्केट में भी भगदड़ की स्थिति है। रुपये में भारी गिरावट हुई है।
लंदन छोड़ पूरा इंग्लैंड ईयू के खिलाफ
इस फैसले से पाउंड में हुई भारी गिरावट को देखते हुए बैंक ऑफ इंग्लैंड हस्तक्षेप कर सकता है। यह बात लेबर पार्टी के सांसद जॉन मैकडोनल ने कही। शुरुआती नतीजे में ही पाउंड 3 पर्सेंट गिर गया था। अब तक यूरो के मुकाबले पाउंड 6.5% गिर चुका है। ब्रिटेन को ईयू से अलग कराने के लिए पिछले 20 सालों से मूवमेंट चला रहे UKIP नेता नाइजल फेराज ने अपने समर्थकों से कहा कि यह खास लोगों पर आम लोगों की जीत है। फेराज ने कहा था कि 23 जून ब्रिटेन के लिए स्वतंत्रता दिवस होगा। लेबर पार्टी के सूत्रों का कहना है कि इस फैसले के बाद कैमरन के लिए अपने पद पर रहना आसान नहीं होगा।
हालांकि यूरोपियन यूनियन से ब्रिटेन को अलग करने के पक्षधर कंजर्वेटिव्स बोरिस जॉनसन समेत माइकल गोव ने हस्ताक्षर के साथ कैमरन को लेटर भेजा है जिसमें उन्होंने उनके प्रति समर्थन जताया है। इन्होंने पत्र में लिखा है कि नतीजे चाहे जो भी हों आप पद पर बने रहें। पूर्व यूरोप मंत्री कि किथ वज ने कहा कि ब्रिटिश नागरिकों ने इमोशनल फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि एक्सपर्ट की चेतावनी के बाद भी कि इसका असर उनके जीवन पर बुरा पड़ेगा फिर भी उन्होंने ईयू छोड़ने का फैसला लिया। जाहिर है यह इमोशनल फैसला है।
स्कॉटलैंड के पहले मंत्री निकोला स्टर्जन ने कहा, ‘इस जनमत संग्रह से साफ है कि स्कॉटलैंट के लोग ईयू में अपना भविष्य देख रहे हैं। सभी 32 लोकल अथॉरिटी इलाके से बहुमत से लोगों ने ईयू में रहने के पक्ष में मतदान किया है।’ लंदन से ईयू छोड़ने के 40 पर्सेंट के मुकाबले 60 पर्सेंट रहने के पक्ष में वोट मिला। हालांकि इसके अलावा इंग्लैंड के किसी भी इलाके में ईयू में रहने के पक्ष में वोट नहीं मिला। इस जनमत संग्रह के नतीजों से साफ है कि लंदन और प्रांतीय इंग्लैंड के बीच समाजिक और सांस्कृतिक गैप है।