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यूपी सीएम पद की चर्चा के लिए अचानक चार्टर्ड प्लेन से सह सरसंघचालक भैय्याजी जोशी और सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल मिलाने पहुंचे अमित शाह 

नई दिल्ली।  तीन चौथाई बहुमत से जीत के बाद भाजपा पर यूपी को एक सशक्त मुख्यमंत्री देने का दबाव इस कदर है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को अचानक चार्टर्ड प्लेन से  मुंबई जाना पड़ा। वहां संघ के दो शीर्ष पदाधिकारियों से मुख्यमंत्री के भावी चेहरे के बारे में चर्चा हुई। दरअसल संघ के इऩ्हीं दो नेताओं को ही मुख्यमंत्री के दावेदारों को पास और फेल करने का पॉवर मिला है। मंत्री स्तर के फैसले भाजपा का शीर्ष नेतृत्व तय करता है, मगर बात जब मुख्यमंत्री तय करने की होती है तो इसमें संघ की सहमति लेनी जरूरी होती है।

हमने भाजपा  और संघ के भरोसेमंद सूत्रों से पता किया कि वहां शाह की मुलाकात किससे हुई। आखिरकार हम कामयाब हुए। नामों का पता चला। दरअसल प्रवास के सिलसिले में संघ के सह सरसंघचालक भैय्याजी जोशी और सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल इन दिनों मुंबई में हैं। शाह ने जब उनसे संपर्क किया तो उऩ्होंने मुंबई बुला लिया। इसके बाद शाह मुंबई निकल गए।

वहां दोनों पदाधिकारियों से सीएम के चेहरे को लेकर बाचतीत हुई। बताया जा रहा कि 18 से 22 मार्च के बीच शपथ ग्रहण होना है। हालांकि अभी तक यह खुलास नहीं हुआ कि कौन मुख्यमंत्री बनेगा। मगर माना जा रहा कि संगठन से किसी शख्स को भेजने की तैयारी है। जो मोदी की तरह दिन को न दिन और रात को न रात समझकर काम करने  वाला हो। संघ से इसलिए भी मुख्यमंत्री भेजने की तैयारी है, इससे यूपी के पार्टी नेताओं में नाराजगी भी नहीं होगी। संगठन से आने वाले को पार्टी नेता सर्वस्वीकार करने को मजबूर होंगे। नहीं तो अपने बीच में किसी के नामित होने पर सीनियारिटी का रोना रोएंगे। सवाल है कि शाह को मुंबई क्यों जाना पड़ा। दरअसल संघ के शीर्ष पदाधिकारियों का प्रोटोकॉल भाजपा के बड़े नेताओं से भी बड़ा होता है, चाहे वह नेता राष्ट्रीय अध्यक्ष ही क्यों न हो। लिहाजा किसी फैसले पर विचार-विमर्श के लिए भाजपा के शीर्ष नेता संघ पदाधिकारियों के पास जाते हैं न कि संघ पदाधिकारी उनके पास आते हैं।