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पन्नीरसेल्वम का नया दावा, बेहतर इलाज के लिए जयललिता को विदेश ले जाने की अनुमति नहीं मिली

चेन्नै। तमिलनाडु की पूर्व सीएम जयललिता के निधन से जुड़े विवाद खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। जयललिता की बीमारी के दौरान कार्यकारी सीएम रहे और शशिकला के खिलाफ विद्रोह करने वाले पन्नीरसेल्वम ने अम्मा की मौत से जुड़ा एक नया दावा किया है। पन्नीरसेल्वम ने कहा है कि बेहतर इलाज के लिए जयललिता को विदेश ले जाने की कोशिश कई बार हुई, पर इसकी अनुमति नहीं दी गई।

पन्नीरसेल्वम ने शुक्रवार को भी तमिलनाडु और केंद्र सरकार पर जयललिता के ट्रीटमेंट की जांच करने का दबाव बनाया। पन्नीरसेल्वम ने कहा कि जयललिता का इलाज करने वाले कुछ डॉक्टरों ने उनसे मुलाकात की। उन्होंने कहा, ‘डॉक्टरों से बातचीत के बाद ही मैंने सामने आकर वीके शशिकला और उनके परिवार के खिलाफ बोलने का फैसला किया।’

कांचीपुरम में पत्रकारों से मुलाकात के दौरान पन्नीरसेल्वम ने कहा, ‘अम्मा को दिए गए मेडिकल ट्रीटमेंट को लेकर शंकाएं अभी भी कायम हैं। वह लंबे समय से बीमार नहीं थीं। उनकी मौत अचानक हो गई। हम चाहते हैं कि सरकार इस मामले की जांच करे और सच सामने लाकर शंकाओं को समाप्त करे।’

पन्नीरसेल्वम ने चेतावनी दी कि अगर जांच की घोषणा नहीं हुआ तो उनके समर्थक 8 मार्च को शाम 5 बजे से भूख हड़ताल पर बैठ जाएंगे। पन्नीरसेल्वम ने दावा किया कि बेहतर इलाज के लिए जयललिता को अमेरिका या ब्रिटेन ले जाने का मामला कई बार उठाया गया। उन्होंने कहा, ‘वरिष्ठ मंत्रियों और मैंने सुझाव दिया था कि अम्मा को इलाज के लिए विदेश ले जाना चाहिए। हमने डॉक्टरों से इस संबंध में बात भी की थी कि अम्मा यात्रा के लिए फिट हैं कि नहीं। डॉक्टरों ने कहा था कि ऐसा संभव है कि लेकिन इसकी अनुमति नहीं मिली।’

इससे पहले तमिलनाडु विधानसभा के पूर्व स्पीकर पी. एच. पंडियन ने गुरुवार को आरोप लगाया था कि जयललिता को उनके पोएस गार्डन आवास में किसी ने धक्का दिया था जिसके बाद उन्हें अपोलो हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। गौरतलब है कि जयललिता को 22 सितंबर को चेन्नै के अपोलो हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, जहां लंबे इलाज के बाद उनका निधन हो गया था।