Breaking News

टॉप आतंकवादी ने कहा, भारतीय मुस्लिम अच्छे हालात में

Giddahनई दिल्ली। अब्दुल अजीज उर्फ गिद्दाह एक दशक पहले आंध्र प्रदेश में ब्लास्ट की साजिश रचने का आरोपी है। इस महीने की शुरुआत में उसे सऊदी अरब ने 10 साल की जेल काटने के बाद भारत भेज दिया है। यहां वह देश की पूर्वी हिस्से में तेल प्रतिष्ठानों को उड़ाने की योजना पर काम कर रहा था। इसके साथ ही वह अन्य आतंकी गतिविधियों में शामिल था। इस अातंकी को 2005 में सऊदी अरब ने अरेस्ट किया था। यहां तक कि वह इराक से जेद्दाह जाकर अमेरिकी बलों से लड़ने की योजना बना रहा था।

वह जुलाई 2005 में गल्फ एयरवेज फ्लाइट से ढाका से जेद्दाह गया था। वहां जाकर एक पाकिस्तानी शकील के घर में रुका था। वह बोस्निया और चेचन्या के सीमावर्ती इलाकों में लड़ रहा था। अजीज अगले जिहादी असाइनमेंट को लेकर जेद्दाह निकलने की योजना पर काम कर रहा था तभी उसे सऊदी सुरक्षा बलों ने हिरासत में ले लिया। उसे आठ साल जेल की सजा मिली लेकिन 10 सालों तक वह जेल में रहा।

यहां तक कि सऊदी अरब की सरकार ने दो साल ज्यादा जेल में रहने के लिए अजीज को हर्जाना दिया। अजीज के जेल से रिहा होने के बाद सऊदी अरब ने दो फरवरी को उसे भारत भेज दिया। अजीज से पूछताछ का ब्यौरा टाइम्स ऑफ इंडिया के पास मौजूद है। इस ब्यौरे के मुताबिक अजीज को भारत के मुकाबले बोस्निया और चेचन्या में जिहाद के लिए तैयार किया गया था।

1997 में अजीज को उसके हैंडलर मोहम्मद इस्माइल और पाकिस्तानी लश्करे तैयबा के ऑपरेटिव सलीम जुनैद भारत में जिहाद के लिए तैयार कर रहे थे। तब अजीज ने इनसे कहा था कि भारत में इसकी जरूरत नहीं है। उसने कहा था भारत में मुस्लिमों की स्थिति दुनिया के दूसरे मुल्कों से खराब नहीं है। हालांकि बाद में सऊदी बेस्ड एनजीओ इंटरनैशनल इस्लामिक रिलीफ ऑर्गेनाइजेशन के डायरेक्टर शेख अहमद इसे समझाने में कामयाब हो गया था।

अजीज एक मोटी रकम के एवज में बाबरी मस्जिद विध्वंस को लेकर भारत के खिलाफ युद्ध करने के लिए तैयार हो गया था। शेख ने अजीज को 9.5 लाख रुपये भेजा। इस रकम को हवाला के जरिए अजीज के ससुर को भेज दिया गया। अजीज को हैदराबाद पुलिस ने 2001 में अरेस्ट किया था। उस पर हथियार और डेटोनेटर्स के जरिए सिटी में ब्लास्ट करने की साजिश रचने का आरोप था।

2001 में वह बेल पर रिहा हुआ लेकिन जमानत अवधि में ही वह 2003 में बांग्लादेश भाग गया। यहां उसने एजेंट को 35,000 रुपये बांग्लादेशी पासपोर्ट हासिल करने के लिए दिया। हालांकि वह तब भी पासपोर्ट हासिल नहीं कर सका और उसे 2004 में इंडिया भेज दिया गया। आरोप है कि वह अपने आतंकवादी सहयोगी मौलाना नसीरुद्दीन के साथ मिल अहम डैम और सिकंदराबाद में गणेश मंदिर को टारगेट करने पर काम रहा था। उसने आठ युवाओं को इसे लेकर ट्रेनिंग दी थी। इस ट्रेनिंग में आईईडी असेंबल करना भी शामिल था। हालांकि इन्हें आंध्र प्रदेश पुलिस ने अरेस्ट कर लिया।

अपनी गिरफ्तारी के डर से अजीज एक बार फिर बेंगलुरु और हावड़ा होते हुए बांग्लादेश भाग गया। इस बार उसे यहां पासपोर्ट मिल गया। उसे मक्का जाने के लिए वीजा भी मिल गया। जुलाई 2005 में वह जेद्दाह के लिए रवाना हो गया।

अजीज ने अतिवादी संगठन दर्सगाह-ए-जिहाद-शहादत 1980 के दशक में जॉइन कर लिया था। उसे चार से पांच महीने तक लाठी चलाने की ट्रेनिंग दी गई थी। वह इस दौरान जाने-माने आतंकियों फसिउद्दीन और आजम घोरी के संपर्क में था। 1989 में उसके पिता ने सऊदी अरब जाने के लिए पैसे दिए थे। वह 1991 में मदीना गया। वह फिर से इंडिया लौट आया लेकिन 1993 में वह फिर से नौकरी के लिए दम्माम चला गया।

यहां उसकी मुलाकात शैक ओबैद से हुई। वह यहां मरकज उल दावा उल नुशान नाम का चैरिटी संगठन चलाता था। वह तीन महीने के लिए इस्लाम और अरबी की स्टडी करने चला गया। वहीं इसने किसी मैगजीन में पढ़ा कि बोस्निया में मुस्लिमों को सताया जा रहा है। 1994 में बोस्निया लड़ने चला गाय। इसके बाद वह 1995 में रियाद लौटा और फिर इंडिया आ गया।

इसी साल उसे मॉस्को के लिए टूरिस्ट वीजा मिल गया। मॉस्को से वह जिहाद के लिए चेचन्या चला गया। 1999 के मध्य में अजीज ने एक बार फिर से जॉर्जिया से दुबई और इंस्तांबुल होते हुए चेचन्या जाने की कोशिश की लेकिन उसे पोप जॉन पॉल द्वितीय की जॉर्जिया यात्रा को लेकर वापस भेज दिया गया।