नई दिल्ली। कुमार विश्वास के दिल पर क्या गुजर रही है ये उनके अलावा पूरी दुनिया को पता है, शायद उनको भी पता हो, लेकिन वो इसका इजहार नहीं कर पा रहे हैं। ये बेबसी और ये लाचारी कुमार के व्यक्तित्व से मेल नही खा रही है, अपनी हर बात को बेबाकी के साथ कहने वाले कविराज आज खामोश हैं, आम आदमी पार्टी के साथ कुमार का सफर शायद पूरा हो गया है, जिस पार्टी को आंदोलन की भुरभुरी जमीन से निकाल कर अपनी कविताओं के जरिए सींचा था, वही पार्टी आज पराई हो गई है, पराएपन का ये एहसास उस समय और परेशान करता है कि जब आपकी जिंदगी का सबसे अहम दिन हो और आप खुद को तन्हा महसूस कर रहे हों।