उर्दू के मशहूर शायर निदा फाजली का निधन हो गया है। वह 78 वर्ष के थे। जानकारों के अनुसार उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। इसी के बाद उन्हें दिल का दौरा पड़ा जिसके बाद उन्होंने मुंबई के वर्सोवा वाले अपने घर में अंतिम सांस ली। वह 2013 मे पद्म श्री सम्मान से भी नवाजे जा चुके हैं।
निदा फाजली का जन्म 12 अक्तूबर 1938 को दिल्ली में हुआ था। निदा फाजली का असली नाम मुक्तदा हसन था। उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं जिसमें जिगर मुरादाबादी: मोहब्बत का सायरा काफी मशहूर रहीं।
निदा फाजली को आसान भाषा में लिखे दोहों के लिए याद किया जाएगा। उनके दोहों और गजलों को जगजीत सिंह की आवाज ने लाखों-लाख लोगों तक पहुँचाया। 1990 के दशक में निदा फाजली के दोहों का एलबम जगजीत सिंह ने गाया था जो बहुत लोकप्रिय हुआ था, इस एलबम का नाम इनसाइट था।
फाजली ने असहिष्णुता पर भी साधा था निशाना
देश में चल रही असहिष्णुता पर बहस में निदा फाजली ने भी निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि मुशायरों और कवि सम्मेलनों में सांप्रदायिकता हावी है। सच बोलने वालों का हश्र कलबुर्गी, डाभोलकर जैसा ही होगा। उनकी जुबान बंद कर दी जाएगी।
राष्ट्रपति व अमरीकी के राष्ट्रपति असहिष्णुता की बात करते हैं तो कोई विरोध नहीं होता है, लेकिन जब कोई आम आदमी असहिष्णुता को मुद्दा बनाता है तो उसकी जाति पूछ ली जाती है।
फिल्मों में भी उन्होंने अपनी कलम की छाप छोड़ी। उनकों सर्वश्रेष्ठ गीतकार के पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है। उनकी मशहूर फिल्मों में नाखुदा, दंश रहीं। जबकि फिल्मफेयर पुरस्कार- सर्वश्रेष्ठ गीतकार, जी सिने पुरस्कार- सर्वश्रेष्ठ गीतकार के लिए भी कई बार उनका नामांकन हुआ। फिल्म ‘सुर’के लिए लिखे उनके गाने बहुत लोकप्रिय हुए थे, उन्होंने फिल्म रजिया सुल्तान के दो गाने भी लिखे थे। फिल्म सरफरोश का ‘होशवालों को खबर क्या, बेखुदी क्या चीज है’ बहुत लोकप्रिय हुआ था। उनके निधन से देश में शोक की लहर है।