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आरएसएस का मेकओवर : 90 साल पुरानी खाकी हाफ पैंट को ‘न’, भूरे रंग की फुल पैंट को ‘हां’

rss-1नागौर (राजस्थान)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने ड्रेस कोड में बड़ा बदलाव करते हुए खाकी निकर के स्थान पर भूरे रंग की फुल पैंट को शामिल किया है। दशकों से आरएसएस की पहचान रहे खाकी हाफ पैंट को बदलने को लेकर बीते कई सालों से संघ के भीतर मंथन चल रहा था। संघ के सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने गणवेश में बदलाव की जानकारी देते हुए कहा कि हम समाज के अनुसार चलते हैं और समाज की जरूरत को देखते हुए हमने यह फैसला लिया है। 1925 में संघ की स्थापना के वक्त से ही खाकी निकर उसकी ड्रेस में शामिल रहा है।

खाकी रंग की बजाय ब्राउन चुनने के सवाल पर जोशी ने कहा, ‘हम कोई भी रंग चुनते तो उस पर सवाल उठते। लेकिन हमने बिना किसी खास विचार के यह बदलाव किया है। यदि हम काला या सफेद रंग चुनते, तब भी सवाल उठते। हम भगवा रंग को चुनते तब कोई बात होती।’ जोशी ने कहा कि ब्राउन कलर अच्छा दिखता है और आसानी से उपलब्ध हो सकता है, इसलिए इसे चुना गया। जोशी ने कहा कि सामान्य जीवन में फुल पैंट चलती है, इसलिए हमने इसे स्वीकार किया है।

 संघ का रिपोर्ट कार्ड पेश करते हुए जोशी ने कहा कि आज हम सर्वोच्च स्थिति में हैं, हमारी शाखाओं में तेजी से इजाफा हुआ है। संघ के सरकार्यवाह ने कहा, ‘पिछले एक साल में 1 लाख 35 हजार से ज्यादा युवाओं ने संघ की ट्रेनिंग ली है। इसके अलावा पांच हजार से अधिक शाखाएं बढ़ी हैं।’ क्या मोदी सरकार आने की वजह से संघ का प्रसार बढ़ा है, इसके सवाल के जवाब में जोशी ने कहा कि ऐसा नहीं है, हम बीते पांच सालों से तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि युवा हमसे जुड़ने मे रुचि दिखा रहे हैं।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद द्वारा आरएसएस की तुलना आईएस से किए जाने को पर भैयाजी जोशी ने कहा कि हमें उनकी समझ देखकर दुख होता है। जोशी ने कहा कि उन्होंने राजनीतिक लाभ के लिए यह बात कही है या फिर अज्ञानता में, लेकिन इस पता चलता है कि उनकी समझ क्या है।

आरक्षण को लेकर संघ के अजेंडे के बारे में पूछे जाने पर जोशी ने कहा कि दलितों और पिछड़ों को मिलने वाले आरक्षण को हम न्यायोचित मानते हैं। जोशी ने कहा कि जिस भावना के तहत आरक्षण दिया गया था, उसको ध्यान में रखा जाना चाहिए। हालांकि उन्होंने कहा कि संपन्न वर्ग यदि आरक्षण की मांग करता है तो यह सही संकेत नहीं है। यह आंबेडकर जी के संविधान के द्वारा दिए गए अधिकारों को लेकर सोच की कमी का संकेत है। उन्होंने जातीय आधारित आरक्षण को सही करार दिया। शुक्रवार से राजस्थान के नागौर में चल रही संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का रविवार को समापन हो गया।

संघ के सरकार्यवाह ने जेएनयू में कथित तौर पर देशद्रोही नारे लगने के मुद्दे पर कहा कि संसद पर हमला करने वालों के प्रति श्रद्धा प्रकट करने, देश के टुकड़े करने के नारे लगाने वाले समूहों का नेतृत्व करने वालों के बारे में हम क्या कहें? उन्होंने कहा कि ऐसे लोग कानून के दायरे से बाहर आ सकते हैं, लेकिन सोचना चाहिए कि ऐसे वातावरण को पोषण किसने दिया है। यह राजनीति का विषय नहीं है, सत्ता में कोई भी बैठेगा, क्या वह कश्मीर के संबंध में अपनी नीति बदल सकता है। क्या वह अपने पड़ोसी देशों के संबंध में नीति बदल सकता है।

मंदिरों में महिलाओं को प्रवेश दिए जाने की मांग को लेकर संघ ने सकारात्मक रुख दिखाया। भैयाजी जोशी ने कहा कि ऐसे मामलों में आंदोलन की बजाय संवाद और चर्चा का तरीका अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर किसी की कोई गलत धारणा के कारण कुछ स्थान ऐसे हैं तो ऐसी मानसिकता को दूर करना होगा, मंदिर प्रशासन को समझाने की आवश्यकता है। ऐसे मामलों का हल समझदारी, बातचीत और संवाद से होना चाहिए।