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सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के वित्त विभाग के टॉप अधिकारियों को राहत देते हुए जेल से रिहा करने का आदेश दिया

नई दिल्ली हाईकोर्ट के इन निर्देशों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अधिकारियों को राहत देते हुए उन्हें हिरासत से रिहा करने का निर्देश दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के वित्त विभाग के टॉप अधिकारियों को राहत देते हुए उन्हें रिहा करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देशों पर स्टे लगा दिया है, जिसके तहत अधिकारियों को गिरफ्तार करने के निर्देश दिए गए थे। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा।

क्या है मामला
इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें प्रस्ताव दिया गया था कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जजों की सुविधाओं में बढ़ोतरी की जाए। प्रस्ताव में रिटायर्ड जजों को घर के कामकाज के लिए घरेलू सहायक देने की मांग की गई थी। इस पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चार अप्रैल को अधिकारियों को निर्देश जारी किए थे। हालांकि हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं किया गया। इस पर हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की गई, जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने बुधवार को उत्तर प्रदेश के वित्त सचिव एस एम ए रिजवी और विशेष सचिव (वित्त) सरयू प्रसाद मिश्रा पर कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं करने के लिए दोनों अधिकारियों को हिरासत में लेने का निर्देश दिया था।

हाईकोर्ट के इन निर्देशों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अधिकारियों को राहत देते हुए उन्हें हिरासत से रिहा करने का निर्देश दिया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट अब शुक्रवार को इस मामले पर आगे सुनवाई करेगा।

अब्दुल्ला आजम की याचिका पर होगी सुनवाई
विरोध प्रदर्शन मामले में दोषी ठहराए गए पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में अब्दुल्ला आजम ने मांग की है इलाहाबाद होईकोर्ट द्वारा धरना प्रदर्शन मामले में उन्हें दोषी ठहराए जाने पर रोक लगे। अब सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को इस मामले पर सुनवाई करेगा। बता दें कि 29 जनवरी 2008 को मुरादाबाद के छजलैट में पुलिस चेकिंग के दौरान जब पुलिस ने सपा नेता अब्दुला आजम की कार को चेकिंग के लिए रोका तो अब्दुल्ला आजम वहीं धरने पर बैठ गए थे। इस पर पुलिस ने अब्दुल्ला आजम और कई अन्य सपा नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अब्दुल्ला आजम को दोषी ठहराया है और दो साल की सजा सुनाई है।

सुप्रीम कोर्ट ने राशन कार्ड उपलब्ध कराने की समय सीमा तीन महीने बढ़ाई
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा प्रवासी मजदूरों को राशन कार्ड उपलब्ध कराने की समय सीमा तीन महीने और बढ़ा दी है। बता दें कि केंद्रीय श्रम मंत्रालय के ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत मजदूरों को यह लाभ मिलेगा। जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस एहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने यह आदेश दिया है। इस आदेश के बाद प्रवासी मजदूर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत राशन आदि की सुविधा ले सकेंगे।

अंजलानी भारद्वाज, हर्ष मंदेर और जगदीप छोकर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर प्रवासी मजदूरों को राशन कार्ड देने की मांग की थी। जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह फैसला दिया। याचिका में कहा गया कि ऐसा नहीं हैं कि हम कह रहे हैं कि सरकार अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने में असमर्थ रही है लेकिन अभी भी कुछ लापरवाही है और कई लोग अभी भी छूट गए हैं, ऐसे में केंद्र और राज्य सरकारों को देखना चाहिए कि सभी को राशन कार्ड मिले। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक पुराने आदेश में कहा था कि सरकार प्रवासी मजदूरों को राशन कार्ड देने से मना नहीं कर सकती।