Breaking News

बिलकिस बानो मामला: ग्यारह दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीमकोर्ट 29 नवंबर को करेगा सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में ग्यारह दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका पर गुजरात सरकार द्वारा दायर की गई प्रतिक्रिया बहुत भारी है। जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को गुजरात सरकार द्वारा हलफनामे पर जवाब दाखिल करने का समय भी दिया है। कोर्ट ने मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि ये एक बहुत बड़ा जवाब है। एक जवाब में इतने सारे फैसले। तथ्यात्मक बयान कहां है, दिमाग का उपयोग कहां है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब दिया कि इसे टाला जा सकता था, मैं सहमत हूं।

कोर्ट ने निर्देश देते हुए कहा कि सभी वकीलों को काउंटर उपलब्ध कराया जाए। 29 नवंबर, 2022 को मामलों की सूचीबद्ध करें। गुजरात सरकार ने हाल ही में 2002 के गोधरा दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या करने वाले 11 दोषियों को छूट दी थी। जिन 11 दोषियों को रिहा किया गया है उनमें जसवंत नई, गोविंद नाई, शैलेश भट्ट, राधेशम शाह, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहानिया, प्रदीप मोर्धिया, बाकाभाई वोहानिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट्ट और रमेश चंदना शामिल हैं। शीर्ष अदालत के समक्ष याचिका माकपा नेता सुभासिनी अली, स्वतंत्र पत्रकार और फिल्म निर्माता रेवती लौल और पूर्व दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर और कार्यकर्ता रूप रेखा वर्मा ने दायर की थी।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को गुजरात सरकार द्वारा हलफनामे पर जवाब दाखिल करने का समय भी दिया है। अपने जवाबी हलफनामे में गुजरात सरकार ने कहा कि उसने 1992 की छूट नीति के अनुसार मामले के सभी ग्यारह दोषियों को रिहा करने का फैसला किया क्योंकि उन्होंने जेल में 14 साल से अधिक समय पूरा किया और उनका व्यवहार अच्छा पाया गया।