अखिलेश को राहत: आय से अधिक संपत्ति के मामले में सुनवाई से सुप्रीमकोर्ट ने किया इंकार
March 13, 202337 Views
नई दिल्ली
सीबीआई ने 2019 में शीर्ष अदालत को बताया था कि आय से अधिक संपत्ति मामले में मुलायम और उनके दो बेटों- अखिलेश यादव और प्रतीक यादव के खिलाफ संज्ञेय अपराध होने का ‘प्रथम दृष्टया कोई सबूत’ नहीं मिला था। जिसके चलते प्रारंभिक जांच (पीई) को आपराधिक मामले में नहीं बदला गया था। साथ ही 7 अगस्त, 2013 के बाद मामले में कोई जांच नहीं की गई।
गौरतलब है कि बीते साल 5 दिसंबर को शीर्ष अदालत ने इस मामले में सुनवाई बंद करने से इनकार किया था। साथ ही कहा था कि वह यह तय करेगा कि सीबीआई द्वारा मामले की प्रारंभिक जांच बंद करने पर सीबीआई की रिपोर्ट की कॉपी दी जा सकती है या नहीं, इस पर सुनवाई करेगी। वहीं अखिलेश और प्रतीक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा था कि सीबीआई ने प्रारंभिक जांच करने के बाद क्लोजर रिपोर्ट दायर कर दी है। साथ ही यह भी कहा है कि आपराधिक मामला दर्ज करने के लिए कोई तर्क नहीं बनता है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का निधन हो गया है। इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि मुलायम सिंह यादव के खिलाफ कार्यवाही भले ही बंद कर दी गई है, लेकिन आरोप उनके बेटों-अखिलेश और प्रतीक के खिलाफ भी हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के समक्ष एक आरटीआई आवेदन दायर किया था। जिसके जवाब में उन्हें सूचित किया गया था कि सीबीआई द्वारा ऐसी कोई क्लोजर रिपोर्ट दायर नहीं की गई थी।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायमूर्ति नरसिम्हा ने कहा कि क्लोजर रिपोर्ट 2013 में दायर की गई थी और याचिकाकर्ता ने 2019 में अपनी याचिका दायर की थी। ऐसे में हम इतने सालों के बाद इस आवेदन पर कैसे विचार कर सकते हैं।
जिसके बाद, वकील ने कहा कि जब एक संज्ञेय अपराध प्रथम दृष्टया बनता है, तो शिकायतकर्ता को क्लोजर रिपोर्ट की प्रति प्रदान की जानी चाहिए। इस पर पीठ ने कहा कि वह क्लोजर रिपोर्ट की प्रति के लिए आवेदन पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं है और इसे खारिज कर दिया।
बता दें कि कांग्रेस नेता विश्वनाथ चतुर्वेदी ने अपनी याचिका में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किए जाने के 11 साल बीत जाने के बावजूद सीबीआई यादव और उनके बेटों के खिलाफ जांच की स्थिति पर अदालत को अपडेट फेल साबित हुई है। उन्होंने अपनी याचिका में मुलायम सिंह यादव पर 1999 से 2005 के बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार और 100 करोड़ रुपये से अधिक की आय से अधिक संपत्ति हासिल करने का आरोप लगाया था।