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पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में ‘एक राष्ट्र’ ‘एक चुनाव’ की दूसरी बैठक 25 अक्टूबर को

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की दूसरी बैठक 25 अक्टूबर को होगी। सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। एक राष्ट्र, एक चुनाव को लेकर एक समिति का गठन किया गया है जिसकी अध्यक्षता रामनाथ कोविंद कर रहे हैं। समिति की पहली आधिकारिक बैठक 23 सितंबर को हुई, जिसके दौरान सदस्यों ने हितधारकों और राजनीतिक दलों से चर्चा करने और सुझाव प्राप्त करने का निर्णय लिया। पहली बैठक राष्ट्रीय राजधानी के जोधपुर हॉस्टल में हुई, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, समिति के सदस्य और पूर्व राज्यसभा नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद और अन्य लोग शामिल हुए।

सरकार ने कोविंद, आजाद और शाह के अलावा कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी, 15वें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप, वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी को सदस्य पैनल के आठ लोगों में नामित किया था। हालाँकि, चौधरी ने समिति का हिस्सा बनने के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया। गजट अधिसूचना के अनुसार, समिति न केवल लोकसभा और विधानसभा चुनाव, बल्कि नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव भी एक साथ कराने की व्यवहार्यता पर गौर करेगी। यदि त्रिशंकु सदन, अविश्वास प्रस्ताव, दलबदल या ऐसी कोई अन्य घटना होती है तो समिति एक साथ चुनाव से जुड़े संभावित समाधानों का विश्लेषण और सिफारिश करेगी।

अपनी पहली बैठक में समीति मुद्दे पर सुझाव देने के लिए राजनीतिक दलों और विधि आयोग को आमंत्रित करने का निर्णय लिया था। बयान में कहा गया है कि समिति ने मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय दलों, राज्यों में सत्तारूढ़ दलों, संसद में अपना प्रतिनिधित्व रखने वाले दलों, अन्य मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय दलों को ‘‘देश में एक साथ चुनाव कराने के मुद्दे पर सुझाव/राय देने के लिए’’आमंत्रित करने का निर्णय लिया है। विधि मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा कि इसके अलावा, समिति एक साथ चुनाव कराने के मुद्दे पर अपने सुझाव और राय के लिए विधि आयोग को भी आमंत्रित करेगी। सरकार की अधिसूचना में कहा गया है कि समिति तुरंत ही कामकाज शुरू कर देगी और यथाशीघ्र सिफारिश करेगी, लेकिन रिपोर्ट सौंपे जाने की समय सीमा तय नहीं है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’’ की वकालत करते रहे हैं।