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MLC चुनाव : जानिए बिना लड़े ही नौ सीट पर कैसे जीत गई भाजपा, अखिलेश यादव क्या बची 27 सीटों पर टिक पायेंगे योगी के सामने?

नई दिल्ली विधान परिषद यानी एमएलसी के 36 सीटों के लिए नौ अप्रैल को मतदान होने थे, लेकिन चुनाव से पहले ही इनमें से नौ सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों ने निर्विरोध जीत हासिल कर ली है। मतलब अब नौ अप्रैल को बची हुई 27 सीटों पर चुनाव होगा।
अब इन सीटों पर होंगे चुनाव
मुरादाबाद-बिजनौर, रामपुर-बरेली, पीलीभीत-शाहजहांपुर, सीतापुर, लखनऊ-उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, बाराबंकी, बहराइच, आजमगढ़-मऊ, गाजीपुर, जौनपुर, वाराणसी, इलाहाबाद, झांसी-जालौन-ललितपुर, कानपुर-फतेहपुर, इटावा-फर्रुखाबाद, आगरा-फिरोजाबाद, मेरठ-गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर-सहारनपुर, गोंडा, फैजाबाद, बस्ती-सिद्धार्थनगर, गोरखपुर-महाराजगंज, देवरिया और बलिया सीट पर अब चुनाव होने हैं।
विधान परिषद में अभी किस दल की कितनी सीटें?
100 सीटों वाले विधान परिषद में अभी भाजपा के 35 एमएलसी हैं। वहीं, समाजवादी पार्टी के खाते में 17 सदस्य हैं। दूसरी ओर बसपा के चार, कांग्रेस के एक, अपना दल (सोनेलाल) के एक सदस्य हैं। इसके अलावा दो शिक्षक एमएलसी, दो निर्दलीय और एक निषाद पार्टी के सदस्य हैं। 37 पद रिक्त हैं। इनमें से 36 पर चुनाव हो रहे हैं। हालांकि, नौ सीटें निर्विरोध जीतने के बाद भाजपा के 44 एमएलसी हो चुके हैं।
2004 में जब मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे, तब समाजवादी पार्टी ने 36 में 24 सीटें जीती थीं।
2010 में जब मायावती मुख्यमंत्री थीं, तब बसपा ने 36 में 34 सीटें जीती थीं।
2016 में जब अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे, तब सपा ने 31 सीटों पर जीत हासिल की थी। इसमें आठ सीटों पर निर्विरोध ही सपा प्रत्याशी जीत गए थे।
2018 में 13 सदस्य निर्विरोध ही चुनाव जीत गए थे। इसमें योगी आदित्यनाथ, केशव प्रसाद मौर्य, डॉ. दिनेश शर्मा समेत 10 सदस्य भाजपा के थे। इसके अलावा अपना दल (सोनेलाल) और सपा के एक-एक सदस्य भी चुने गए थे।
2020 में शिक्षक एमएलसी के चुनाव हुए थे। तब छह सीटों में से तीन पर भाजपा, एक पर सपा और दो पर निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी।
2020 में ही पांच एमएलसी की सीटों के लिए चुनाव हुए थे। तब तीन पर भाजपा और एक पर समाजवादी पार्टी की जीत हुई थी।
2021 में भाजपा के चार सदस्यों को राज्यपाल ने नामित किया था।
सपा पर हावी भाजपा
विधान परिषद के सदस्य का कार्यकाल छह साल के लिए होता है। चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम 30 साल उम्र होनी चाहिए। एक तिहाई सदस्यों को विधायक चुनते हैं। इसके अलावा एक तिहाई सदस्यों को नगर निगम, नगरपालिका, जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायत के सदस्य चुनते हैं। 1/12 सदस्यों को शिक्षक और 1/12 सदस्यों को रजिस्टर्ड ग्रैजुएट चुनते हैं।

मतलब यूपी में विधान परिषद के 100 में से 38 सदस्यों को विधायक चुनते हैं। 36 सदस्यों को स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र के तहत जिला पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य और नगर निगम या नगरपालिका के निर्वाचित प्रतिनिधि चुनते हैं। 10 मनोनीत सदस्यों को राज्यपाल नॉमिनेट करते हैं। इसके अलावा 8-8 सीटें शिक्षक निर्वाचन और स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के तहत आती हैं।

अभी जिन 36 सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं, उनमें जिला पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य, नगर निगम या नगरपालिका के निर्वाचित प्रतिनिधि वोट करेंगे। पिछले ही साल सूबे में पंचायत के चुनाव हुए थे। भाजपा ने दावा किया था कि उनके सबसे ज्यादा प्रत्याशियों की जीत हुई थी। आंकड़े भी इसी ओर इशारा कर रहे हैं। ऐसे में एमएलसी के इस चुनाव में भाजपा ज्यादा मजबूत दिख रही है। भाजपा के पास ज्यादा जिला और क्षेत्र पंचायत सदस्य हैं। नगर निगम और नगर पालिका के सदस्यों की संख्या भी ज्यादा है। इसलिए भाजपा आसानी से बची हुई 27 में से 24-25 सीटें जीत सकती है।