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137 साल में जाने कितने नेताओं ने संभाली कांग्रेस की कमान, इस बार कौन बन सकता है पार्टी का अध्यक्ष

नई दिल्ली कांग्रेस में जारी उठापठक के बीच पार्टी हाईकमान ने अध्यक्ष पद के चुनाव का कार्यक्रम जारी कर दिया है। 17 अक्तूबर को अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होगा। 19 अक्तूबर को नतीजा आएगा। चुनाव के लिए 22 सितंबर को अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। 24 सितंबर से 30 सितंबर तक इसके लिए नामांकन दाखिल किया जा सकेगा।

अगर सबकुछ तय कार्यक्रम के तहत हुआ तो 19 अक्तूबर को कांग्रेस का अगला अध्यक्ष मिल जाएगा। क्या फिर से पार्टी की कमान गांधी परिवार के पास जाएगी या सोनिया-राहुल अपने किसी करीबी को ये जिम्मेदारी सौंपेंगे? कांग्रेस के गठन से लेकर अब तक पार्टी को कितने अध्यक्ष मिले? इनमें से कितने नेहरु-गांधी परिवार से थे? कितने गैर नेहरू-गांधी पार्टी के अध्यक्ष रहे? इस बार होने वाले चुनाव में किसकी दावेदारी मजबूत है? आइए जानते हैं…

स्थापना की कहानी क्या है?
कांग्रेस की स्थापना थियिसोफिकल सोसायटी के प्रमुख सदस्य रहे एओ ह्यूम ने 28 दिसंबर 1885 में की। स्थापना के वक्त ह्यूम के साथ 72 और सदस्य थे। पार्टी के गठन के बाद ह्यूम संस्थापक महासचिव बने और वोमेश चंद्र बनर्जी को पार्टी का पहला अध्यक्ष नियुक्त गया। इसके बाद से अब तक पार्टी को 56 अध्यक्ष मिल चुके हैं। सबसे ज्यादा 45 साल तक पार्टी की कमान नेहरु-गांधी परिवार के पास ही रही है।

1885-1900 तक कौन-कौन रहा अध्यक्ष
1. वोमेश चंद्र बनर्जी
2. श्रीदाबा भाई नारोजी
3. बररूदीन तयाबजी
4. जॉर्ज येलू
5. सर विलियम वेडरबर्न
6. फेरोजेशा मेहता
7. अल्फ्रेड वाब
8. सुरेंद्रनाथ बनर्जी
9. रहिमुतुल्लाह एम सयानी
10. सी शंकरन नायर
11. एनजी चंदवारकर
12. पी अनंदा चार्लू
13. सरोजनी नायडू

1919 तक नहीं था नेहरु-गांधी परिवार का ज्यादा दखल
1885 से लेकर 1919 तक कांग्रेस में नेहरु-गांधी परिवार का कांग्रेस में ज्यादा दखल नहीं था। इसके बाद 1919 में कांग्रेस पार्टी के अमृतसर अधिवेशन में मोती लाल नेहरु को नया अध्यक्ष चुना गया। 1928 में उन्हें कलकत्ता के अधिवेशन में फिर से पार्टी का अध्यक्ष चुन लिया गया। इसके अगले ही साल कांग्रेस की कमान मोती लाल नेहरु के बेटे पं. जवाहर लाल नेहरू को मिल गई। लगातार दो साल उन्होंने कमान संभाली, फिर सरदार वल्लभ भाई पटेल को नया अध्यक्ष चुन लिया गया।

1936 और 1937 में जवाहर लाल नेहरु फिर से अध्यक्ष बनाए गए। देश की आजादी के बाद 1951 में फिर से कांग्रेस की कमान पं. जवाहर लाल नेहरु को मिली। इस बार वो लगातार चार साल तक अध्यक्ष बने रहे।

1959 में कांग्रेस में इंदिरा गांधी की एंट्री हुई और वह अध्यक्ष बनीं। 1960 में इंदिरा के हाथ से कांग्रेस की कमान नीलम संजीव रेड्डी के पास चली गई। 1978 से 1983 तक फिर से इंदिरा अध्यक्ष रहीं। 1985 में कांग्रेस की कमान राजीव गांधी को मिली और छह साल तक उन्होंने कुर्सी संभाली। 1998 में सोनिया गांधी को अध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद 2017 तक वह 19 साल तक पार्टी की टॉप लीडर बनी रहीं। 2017 में सोनिया ने बेटे राहुल गांधी को कांग्रेस की कमान सौंप दी। हालांकि कई राज्यों और लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद राहुल ने 2019 में अध्यक्ष पद छोड़ दिया। तब से सोनिया गांधी ही पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष बनी हुई हैं।

1900-1947 : नेहरु परिवार के पास पहुंची कमान
14. दीनशॉ इडूलजी वाचा
15. लाल मोहन घोस
16. श्रीहेनरी कॉटन
17. गोपाल कृष्ण गोखले
18. मदन मोहन मालवीय
19. बिशन नारायण दार
20. नवाब सैय्यद मोहम्मद बहादुर
21. सत्येंद्र प्रसन्न सिन्हा
22. अंबिका चरण मजूमदार
23. एनी बेसेंट
24. सैय्यद हसन इमाम
25. मोतीलाल नेहरू (1919)
26. सी. विजय राघवाचार्य
27. हाकीम अजमल खान
28. देशबंधु चितरंजन दास
29. मौलाना अबुल कलाम आजाद
30. मोहनदास करम चंद गांधी (1924)
31. एस श्रीनिवास अय्यंगर
32. एमए अंसारी
33. वल्लभ भाई जे पटेल
34. डॉ. राजेंद्र प्रसाद
35. सुभाष चंद्र बोस
36. जेबी कृपलानी
37. पं. जवाहरलाल नेहरू (1929)
38. यूएन देहबर
39. नाइली सेन गुप्ता
40. भूपेंद्र नाथ बोस
41. रघुनाथ नरसिन्हा मधुहोल्कर
42. राश बेहरी घोस

1947-1990 तक ये रहे कांग्रेस के अध्यक्ष
43. जगजीवन राम
44. बी. पिताभाई सितारम्मैया
45. पुरुषोत्मदास टंडन
46. एन संजीव रेड्डी
47. एस निजालिंगप्पा
48. के कामराज
49. शंकर दयाल शर्मा
50. डीके बारूह
51. इंदिरा गांधी (1959)
52. राजीव गांधी (1985-1992)

1990-2021 : लंबे समय तक सोनिया गांधी रहीं अध्यक्ष
53. पीवी नरसिम्हा राव
54. सीताराम केसरी
55. सोनिया गांधी (1998-2017, 2019 से अब तक)
56. राहुल गांधी (2017-2019)

क्या फिर से गांधी परिवार को मिलेगी कमान?
पार्टी में विरोध और विपक्ष के लगातार हमले के बीच गांधी परिवार ने अध्यक्ष पद से खुद को अलग रखने का फैसला लिया है। सोनिया गांधी, राहुल गांधी कई बार अध्यक्ष पद से हटने के लिए कह चुके हैं। हालांकि, पार्टी में कुछ नेता ऐसे हैं जो चाहते हैं कि कांग्रेस की कमान अभी गांधी परिवार के पास ही रहे।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं, ‘अगर गांधी परिवार से अलग कोई कांग्रेस की कमान संभालता है तो पार्टी में ज्यादा फूट पड़ने की आशंका है। पार्टी में अभी काफी गुट बन चुके हैं। ये गुट केवल गांधी परिवार के चलते ही एकजुट हो पाते हैं। अगर गांधी परिवार ने पार्टी की बागडोर छोड़ी तो इनका विद्रोह तेज हो जाएगा। पार्टी के भविष्य के लिए ये एक तरह से खतरा है।’

कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर के एक अन्य नेता कहते हैं, ‘पार्टी पर परिवारवाद का आरोप लगता है। ऐसे में मुश्किल है कि राहुल गांधी या सोनिया गांधी फिर से अध्यक्ष पद संभालें। ऐसी स्थिति में किसी ऐसे चेहरे को ये जिम्मेदारी दी जा सकती है जो नेहरु-गांधी परिवार का विश्ववसनीय हो। ऐसे ही चेहरे की तलाश हो रही है।’

गांधी परिवार से बाहर किसकी उम्मीदवारी मजबूत?

1. अशोक गहलोत: गांधी परिवार के करीबी हैं। गहलोत को अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस एक तीर से दो निशाने लगा सकती है। गहलोत नाराज न हों, इसलिए उन्हें पार्टी की सबसे बड़ी पोस्ट मिल जाएगी और राजस्थान हाथ से न जाए इसके लिए सचिन पायलट को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया जा सकता है। राजस्थान में अगले साल ही चुनाव होने हैं। मौजूदा समय राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार एक के बाद एक कई विवादों में फंसती नजर आ रही है। ऐसे में सचिन पायलट को कमान देने से कांग्रेस में नई ऊर्जा आ सकती है। हालांकि, गहलोत लगातार अध्यक्ष बनने से इंकार करते रहे हैं।

2. मल्लिकार्जुन खड़गे: राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी गांधी परिवार के करीबी हैं। मल्लिकार्जुन कर्नाटक से आते हैं। अगले साल कर्नाटक में भी चुनाव होने हैं। मल्लिकार्जुन को कांग्रेस अध्यक्ष बनाकर गांधी परिवार दक्षिण के राज्यों पर फोकस कर सकती है।

3. भूपेश बघेल: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री इस वक्त सबसे सक्रिय कांग्रेस नेताओं में हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान भी बघेल बहुत सक्रिय थे। प्रियंका गांधी के साथ उन्होंने जमकर प्रचार किया था। गांधी परिवार से करीबी भी उनके पक्ष में जा सकती है। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ में बघेल और टीएस सिंहदेव के बीच जारी खींचतान का भी हल पार्टी को इससे मिल सकता है।

4. कुमारी सैलजा : हरियाणा से आने वाली कुमारी सैलजा के जरिए पार्टी महिला मतदाताओं को साधने की कोशिश कर सकती है। सैलजा हरियाणा प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। 2024 में हरियाणा में भी चुनाव होने हैं। सैलजा के बहाने कांग्रेस हरियाणा में भी अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर सकती है।

5. मुकुल वासनिक: कांग्रेस के विद्रोही गुट जी-23 की ओर से अध्यक्ष पद के लिए वासनिक का नाम पहले भी सुझाया जा चुका है। मुकुल अभी राज्यसभा के सांसद हैं और पार्टी के महासचिव भी। मुकुल महाराष्ट्र से आते हैं और राजस्थान से राज्यसभा के सांसद निर्वाचित हुए हैं। मुकुल को अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस राजस्थान और महाराष्ट्र दोनों राज्यों में अपनी जड़ें मजबूत करने का काम कर सकती है।

इन नेताओं के नामों की भी चर्चा
केसी वेणुगोपाल, मीरा कुमार, राजीव शुक्ला जैसे नेताओं की भी खूब चर्चा हो रही है। ये ऐसे नेता हैं, जिनका कांग्रेस का कोई गुट विरोध नहीं करेगा। ऐसे में इन नेताओं में से किसी एक पर भी कांग्रेस हाईकमान दांव लगा सकती है।