चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग के 3 साल 11 महीने और 23 दिन बाद आखिर वो घड़ी आ ही गई जब एक बार फिर चंद्रयान-3 मिशन के साथ चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास किया गया। 14 जुलाई को दोपहर 2.30 बजे श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया। 50 वर्ष पहले की तुलना में यह कार्य अभी भी काफी कठिन है।
साउथ पोल पर ही क्यों उतरेगा लैंडर?
अभी तक कोई देश यहां नहीं पहुंचा है। चंद्रयान-1 मिशन के दौरान साउथ पोल में बर्फ के बारे में पता चला था। यहां सूरज की रोशनी कभी नहीं पहुंचती। चांद के साउथ पोल में ठंडे क्रेटर्स (गड्ढों में शुरुआती सौर प्रणाली के लुप्त जीवाश्म रिकॉर्ड मौजूद हो सकते हैं। अगर चंद्रयान-3 यहां लैंड करता है तो यह पहली बार होगा।
हटाया गया 5वां लैंडर
इस बार लैंडर में चार ही इंजन, 5वां हटाया लैंडर में चारों कोनों पर लगे चार इंजन (थ्रस्टर) तो होंगे, पिछली बार बीचोंबीच लगा पांचवां इंजन नहीं होगा। फाइनल लैंडिंग केवल दो इंजन की मदद से ही होगी, ताकि दो इंजन आपातकालीन स्थिति में काम कर सकें।
ऐसा है सफर
सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड 2 से चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग।
LVM3M4 रॉकेट ‘चंद्रयान-3’ को चांद के सफर पर ले जाएगा।
24-25 अगस्त तक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास लैंडिंग होगी।