यूं तो टीम इंडिया ने निदाहास ट्रॉफी में अपने पिछले तीनों मुकाबले जोरदार तरीके से जीतकर इस सीरीज की फेवरिट टीम का रुतबा हासिल कर लिया है लेकिन रविवार को फाइनल में उसका सामना ऐसी बांग्लादेशी टीम के साथ होने वाला जो आखिरी वक्त तक अपने जोश और जुनून की बदौलत मैच का रुख बदलने का माद्दा रखती है.
रिकॉर्ड्स है भारत के साथ
बात अगर दोनों टीमों के बीच मुकाबलों के इतिहास की जाए तो इन दोनों टीमों के बीच अब तक कुल सात मुकाबले खेले गए है जिनमें से बांग्लादेश को हर बार हार का मुंह देखना पड़ा है. यानी क्रिकेट के इस छोटे फॉर्मेंट में टीम इंडिया बांग्लादेश के सामने अभी तक अपराजेय रही है. यही नहीं कोलंबो के जिस प्रेमदासा स्टेडियम में यह फाइनल मुकाबला खेला जाना है वहीं भारत ने अब तक खेले 11 में से नौ मुकाबलों में जीत हासिल की है.
यानी आंकड़े और इतिहास तो भारत के साथ है लेकिन निदाहास ट्रॉफी को हासिल करने के लिए टीम इंडिया के सामने एक ऐसी टीम है जो इतिहास को बदलने के लिए बेताब दिख रही है.
बांग्लादेश की टीम है जरा हट के
हांलकि भारत के खिलाफ तो दोनों लीग मुकाबलों में बांग्लादेश को हार का सामना करना पड़ा लेकिन श्रीलंका के खिलाफ पहले मुकाबले में 215 रन का रिकॉर्ड टारगेट हासिल करना और वर्चुअल सेमीफाइनल बन चुके आखरी लीग मुकाबले में आखिरी ओवर की पांचवीं गेंद पर छक्के के साथ जीत हासिल करना यह बताता है कि भारत की यह कम अनुभवी टीम बांग्लादेश को अगर हल्का आंकने की गलती करेगी नुकसान भुगतना पड़ सकता है.
भारत के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि उसकी सबसे बड़ी ताकत जो अबतक कमजोर कड़ी साबित हो रही थी यानी कप्तान रोहित शर्मा अब फॉर्म में वापस आते दिख रहे हैं. रोहित ने पहले तीम मुकाबलों में नाकाम रहने के बाद बांग्लादेश के खिलाफ ही अपने बल्ले की लय वापस पाई है ऐसे में फैंस को उम्मीद होगी कि रोहित इस बड़े मुकाबले में बड़े स्कोर खड़ा करें.
इस सीरीज में अब कर खेले गए छह मुकाबलों में से पांच में बाद में बल्लेबाजी करने वाली टीम ही जीती हा यानी फाइनल मुकाबले में टॉस भी अहम भूमिका निभा सकता है.