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रायबरेली में कांग्रेस का परचम बरकरार, कांग्रेस के शत्रोहन सोनकर ने भाजपा की शालिनी को हराया जीत हासिल की

रायबरेली रायबरेली नगर पालिका में फिर कांग्रेस का डंका बजा है। कांग्रेस के शत्रोहन सोनकर ने भाजपा की शालिनी को हराया। जिले की पांच नगर पंचायतों में भाजपा, एक में कांग्रेस व तीन में निर्दलीय प्रत्याशी जीते हैं।

सांसद सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र की नगर पालिका रायबरेली में एक बार फिर शनिवार को कांग्रेस का डंका बज गया। कांग्रेस प्रत्याशी शत्रोहन सोनकर ने 17,775 मतों के अंतर से रिकॉर्ड जीत दर्ज कराई। नगर पंचायतों की नौ सीटों में पांच पर भाजपा ने कब्जा किया। नगर निकाय की एक सीट पर कांग्रेस व तीन सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों ने कब्जा जमाया। नगर पालिका में एतिहासिक जीत पर कांग्रेसी खुशी से झूम उठे। एक दूसरे का मुंह मीठा कराकर खुशी का इजहार किया।

शनिवार की सुबह आठ बजे से कड़ी सुरक्षा में छह स्थानों पर मतगणना शुरू हुई। सबसे चर्चित नगर पालिका के अध्यक्ष पद की सीट पर सुबह से ही कांग्रेस प्रत्याशी शत्रोहन सोनकर ने बढ़त बना ली। आखिरी तक भाजपा प्रत्याशी शालिनी कनौजिया ने पीछा किया, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी की बढ़त बढ़ती ही गई। कांग्रेस प्रत्याशी ने 43404 मत प्राप्त करके भाजपा प्रत्याशी को 17775 रिकॉर्ड मतों से हराया। भाजपा प्रत्याशी शालिनी को 25629 मत मिले। 10551 मत पाकर सपा प्रत्याशी पारसनाथ तीसरे स्थान पर रहे।

नगर पंचायत महराजगंज में भाजपा प्रत्याशी सरला साहू ने चौथी बार जीत दर्ज कराई। इसके अलावा नगर पंचायत डलमऊ में भाजपा प्रत्याशी ब्रजेश दत्त गौड़, नगर पंचायत बछरावां में भाजपा प्रत्याशी शिवेंद्र सिंह उर्फ रामजी, नगर पंचायत शिवगढ़ में भाजपा प्रत्याशी सुमन गौतम, ऊंचाहार नगर पंचायत में भाजपा प्रत्याशी ममता जायसवाल ने जीत दर्ज कराई। नगर पंचायत लालगंज में कांग्रेस प्रत्याशी सरिता गुप्ता जीतीं। नगर पंचायत सलोन में निर्दलीय चंद्रशेखर रस्तोगी, परशदेपुर में निर्दलीय विनोद कौशल, और नसीराबाद में निर्दलीय मो. अली ने जीत दर्ज कराई।

नगर पालिका में बसपा प्रत्याशी जगजीवन राम वाडले समेत आठ प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई है, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी शत्रोहन सोनकर ने 51.62 प्रतिशत मत पाकर रिकार्ड कायम किया है। वर्ष 2017 के चुनाव में कांग्रेस ने 24205 वोट पाकर जीत दर्ज कराई थी, लेकिन इस बार कांग्रेस को 43404 मत मिले हैं। सपा को पिछले चुनाव में 20130 मत और इस बार 10551 मत मिले हैं। भाजपा को पिछले चुनाव की तुलना में नौ हजार अधिक वोट मिले, लेकिन जीत के नजदीक नहीं पहुंच सकी। पिछले चुनाव में 16048 मत पाने वाली भाजपा को इस बार 25629 मत मिले हैं। जमानत जब्त कराने वालों में बसपा प्रत्याशी के अलावा सुचित कुमार सोनकर, विजय, शिवा, राजेश कुमार, विशाल सोनकर, अश्वनी कुमार व प्रमेंद्र कुमार शामिल हैं। 

पांच नगर पंचायतों में भाजपा, कांग्रेस का खाता खुला, सपा साफ

नगर पंचायतों के अध्यक्ष पद की नौ सीटों पर इस बार भाजपा के प्रत्याशियों का अच्छा प्रदर्शन रहा। नगर पंचायत अध्यक्ष की नौ सीटों में पांच सीटें भाजपा ने जीत ली। जबकि लालगंज की सीट पाकर कांंग्रेस का खाता नगर पंचायतों में खुल गया। पिछले चुनाव में नगर पंचायतों की एक भी सीट कांग्रेस को नहीं मिली थी। सपा को दो सीटें मिली थीं, लेकिन इस बार सपा ने उसे भी गवां दिया। पिछली बार निर्दलों ने नगर पंचायतों की चार सीटों पर कब्जा किया था, इस बार तीन सीटों से संतोष करना पड़ा।

वर्ष 2017 के नगर निकाय चुनाव में भाजपा ने नगर पंचायत परशदेपुर व महराजगंज सीट पर कब्जा पाया था। इस बार परशदेपुर के नगर पंचायत अध्यक्ष रहे विनोद कौशल को भाजपा ने टिकट नहीं दिया। विनोद ने बागी बनकर निर्दल चुनाव लड़कर दूसरी बार जीत दर्ज कर ली। नगर पंचायत महराजगंज सीट पर चौथी बार सरला साहू ने भाजपा के टिकट पर जीत दर्ज कराई है। इसके अलावा डलमऊ, ऊंचाहार, शिवगढ़ और बछरावां नगर पंचायत सीटों पर भाजपा ने कब्जा किया है। इस चुनाव में सबसे बड़ा नुकसान सपा को उठाना पड़ा है।

नगर पंचायत ऊंचाहार में अध्यक्ष की सीट भाजपा ने सपा से छीन ली है। इसके अलावा लालगंज की सीट कांग्रेस ने सपा से छीनी है। सभी नगर पंचायतों में सपा पूरी तरह से साफ हो गई है। परशदेपुर के साथ सलोन और नसीराबाद सीटों पर निर्दलीयों ने बाजी मारी है। जहां रही बसपा की बात तो बसपा के प्रत्याशी किसी भी सीट पर अच्छा प्रदर्शन करने में नाकाम रहे। हर सीट पर बसपा प्रत्याशी मुट्ठीभर वोट पाए। कुल मिलाकर नगर पंचायतों में भाजपा का इस बार अच्छा प्रदर्शन रहा। सपा और बसपा को बड़े नुकसान का सामना करना पड़ा।

शहर की सरकार, कांग्रेस का जलवा बरकरार

शहर की सरकार में कांग्रेस ने अपना जलवा बरकरार रखते हुए पांचवीं बार जीत का स्वाद चखा। भाजपा हैट्रिक लगाने से चूक गई तो सपा चुनाव में कोई कमाल नहीं कर सकी। मतदान के बाद तीन प्रमुख दलों के बीच त्रिकोणीय मुकाबला दिख रहा था, लेकिन मतपेटियों से वोट निकले तो यह चुनाव कांग्रेस और भाजपा के बीच रहा। इसमें से कांग्रेस ने भारी अंतर से भाजपा को तकरीबन हर चरण में परास्त किया। सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र में शहरी जनता जर्नादन ने जिस तरह पंजे का एक बार फिर साथ दिया, उससे राजनीतिज्ञ भी आश्चर्यचकित हैं।

नगर पालिका परिषद रायबरेली में 1988 में निकाय चुनाव जनता से कराया जाना शुरू हुआ था। कांग्रेस प्रत्याशी मोहनलाल त्रिपाठी को जनता ने सिर आंखों पर बैठाया था और वह पहली बार अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज हुए। 1992 के चुनाव में भी कांग्रेस का दबदबा रहा और राघवेंद्र प्रताप सिंह अध्यक्ष चुने गए। 1995 के चुनाव में राघवेंद्र प्रताप सिंह ने पाला बदला और भाजपा से चुना लड़ा और उन्होंने जीत हासिल की। वर्ष 2000 के चुनाव में भी भाजपा से डॉ. मनोज कुमार पांडेय ने चुनाव जीता और अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा किया। 2006 में राघवेंद्र प्रताप सिंह ने कांग्रेस से चुनाव लड़ा और जीत हासिल किया। वर्ष 2012 के चुनाव में सपा प्रत्याशी मो. इलियास ने चुनाव जीतने में बाजी मारी। 2017 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी पूर्णिमा श्रीवास्तव ने चुनाव जीतकर फिर कांग्रेस का दबदबा कायम किया।

वर्ष 2023 के चुनाव में कांग्रेस ने अपना गढ़ बचाने के लिए शत्रोह्न सोनकर को चुनाव मैदान में उतारा। शत्रोह्न पार्टी की कसौटी पर खरे उतरे और चुनाव जीतकर कांग्रेस के गढ़ में जीत का परचम लहराते हुए पार्टी की साख बचाए रखी। इस चुनाव में भाजपा और सपा ने भी जीत हासिल करने के लिए पूरा दमखम दिखाया। वर्ष 2017 के चुनाव में भाजपा ने विजय रस्तोगी की पत्नी सोनिया रस्तोगी का चुनाव मैदान में उतारा था, लेकिन वह चुनाव जीत नहीं पाई। वर्ष 2023 के चुनाव में भाजपा से शालिनी कनौजिया को चुनाव मैदान में उतारा गया, लेकिन पार्टी का यह दांव भी जीत नहीं दिला सका। सपा से पारसनाथ चुनाव मैदान में रहे, लेकिन वह भी जीत हासिल नहीं कर पाए।