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अशोक गहलोत ने मल्लिकार्जुन खड़गे को खुलकर किया समर्थन, शशि थरूर ने कार्रवाई की मांग की, कहा- सब कुछ कांग्रेस के सीईए अध्यक्ष पर निर्भर करता है

कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए 2 उम्मीदवार चुनावी मैदान में है। एक ओर जहां मल्लिकार्जुन खड़गे हैं तो वहीं दूसरी ओर शशि थरूर हैं। शशि थरूर लगातार यह दावा कर रहे हैं कि अगर कार्यकर्ताओं को पार्टी में बदलाव चाहिए तो वह हमारे पक्ष में मतदान करें। वहीं दूसरी ओर मल्लिकार्जुन खड़गे का दावा है कि हम दोनों का उद्देश्य भाजपा और आरएसएस के खिलाफ लड़ना है। इन सबके बीच राजस्थान के मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने खुलकर मल्लिकार्जुन खड़गे का समर्थन किया है। अब इसी को लेकर शशि थरूर ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। शशि थरूर ने साफ तौर पर कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि यह सब कुछ कांग्रेस के सीईए अध्यक्ष पर निर्भर करता है।

कांग्रेस अध्यक्ष पद के उम्मीदवार शशि थरूर ने कहा कि इस पर कार्रवाई करना कांग्रेस के सीईए अध्यक्ष पर निर्भर है। उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि कोई भी पदाधिकारी किसी उम्मीदवार के लिए प्रचार न करें। भोपाल में मौजूद शरूर ने कहा कि यह सच है कि जिस तरह का स्वागत, निष्पक्षता मुझे यहां मिली, वह किसी और राज्य में नहीं मिली। दरअसल, थरूर ने इससे पहले दावा किया था कि कई प्रदेश इकाइयों में उनके प्रतिद्वंद्वी मल्लिकार्जुन खड़गे का स्वागत किया जाता है और बड़े-बड़े नेता उनसे मिलते हैं, लेकिन उनके साथ ऐसा व्यवहार नहीं होता। हालांकि थरूर ने यह भी कहा कि वह कोई शिकायत नहीं कर रहे हैं, लेकिन व्यवस्था में कमियां हैं क्योंकि 22 साल से पार्टी में चुनाव नहीं हुआ है।

इसके अलावा शशि थरूर ने यह भी कहा कि चुनाव से ये स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस पार्टी की मजबूती बढ़ती जा रही है। देश में किसी भी पार्टी में चुनाव से राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव नहीं होता है। जो लोग लोकतंत्र के बारे में बोलते है उन्हें अपनी पार्टी के अंदर भी ये दिखाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस चुनाव में मैं और खड़गे साहब हमारी पार्टी के सामने अलग-अलग संकल्प रखते हैं। खड़गे साहब की जीत हो या मेरी जीत हो हम दोनों चाहते हैं कि कांग्रेस पार्टी की जीत होनी चाहिए। इससे पहले शशि थरूर ने बृहस्पतिवार को कहा था कि यह धारणा काफी सही लगती है कि बी.आर. आंबेडकर इस विचार को “अस्वीकार” करते और इसकी “काफी आलोचना” करते कि राजनीतिक नेतृत्व को चुनाव या योग्यता के अन्य रूपों के बजाय विरासत के आधार पर आगे बढ़ना चाहिए।