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हाथरस का कस्बा मुरसान मंगल ग्रह पर पहुंचा, यूपी के महान वैज्ञानिक का नाम अमर, मंगल ग्रह की सतह पर खोजे गए तीन क्रेटर्स में से दो के नाम यूपी से जुड़े

 लखनऊ हाथरस का कस्बा मुरसान मंगल ग्रह पर पहुंच गया है। यूपी के महान वैज्ञानिक का नाम अमर हो गया है। मंगल ग्रह की सतह पर खोजे गए तीन क्रेटर्स में से दो के नाम यूपी से जुड़े हैं।

भारतीय वैज्ञानिकों ने हाल में मंगल ग्रह की सतह पर तीन क्रेटर्स (गड्ढे) खोजे हैं। यह खोज अहमदाबाद के फिजिकल रिसर्च लैबोरेटरी के वैज्ञानिकों ने की है। इन तीन क्रेटरों में से दो के नाम उत्तर प्रदेश के महान अंतरिक्ष वैज्ञानिक और हाथरस के कस्बे मुरसान के नाम पर रखे गए हैं, जबकि तीसरे क्रेटर का नाम बिहार के एक कस्बे हिलसा के नाम पर रखा गया है।

अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ ने इन नामों को मंजूरी दे दी है। ये तीनों क्रेटर्स मंगल के थारिस क्षेत्र में मौजूद हैं, जो ज्वालामुखियों से भरा हुआ है। थारिस मंगल ग्रह के पश्चिमी गोलार्ध में भूमध्य रेखा के पास केंद्रित विशाल ज्वालामुखीय पठार है।

भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग की इकाई पीआरएल के निदेशक अनिल भारद्वाज के मुताबिक ये नाम अंतरराष्ट्रीय दिशा-निर्देशों के अनुसार रखे गए हैं। इसके अनुसार छोटे क्रेटरों के नाम छोटे शहरों के नाम पर और बड़े क्रेटरों के नाम प्रसिद्ध हस्तियों के नाम पर रखने होते हैं।

जब क्रेटरों के नाम रखने की बारी आई तो मुरसान और हिलसा कस्बों के नाम चुने गए। सबसे बड़े क्रेटर के लिए डॉ. देंवेंद्र लाल के नाम की संस्तुति की गई। पीआरएल की सिफारिश पर अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ ने तीनों क्रेटरों को लाल क्रेटर, मुरसान क्रेटर और हिलसा क्रेटर के प्रस्ताव को मंजूरी दी।

खगोलीय संघ की अनुमति के बाद अब इन क्रेटरों का नाम आधिकारिक रूप से लाल क्रेटर, मुरसान क्रेटर और हिलसा क्रेटर के नाम से जाना जाएगा। इन तीनों क्रेटरों की खोज से ठोस प्रमाण मिले हैं कि मंगल ग्रह कभी गीला था और इसकी सतह पर पानी बहता था। ये खोज मंगल ग्रह की जलवायु और भविष्य में मानव के रहने लायक अध्ययन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। खास तौर पर उत्तर प्रदेश के लिए ये बड़ी उपलब्धि है।

लाल क्रेटर : 65 किलोमीटर चौड़े इस क्रेटर का नाम फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी (पीआरएल) के पूर्व निदेशक प्रोफेसर डॉ. देवेंद्र लाल के नाम पर रखा गया है। उनका जन्म वाराणसी में हुआ था। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और बॉम्बे विश्वविद्यालय से स्नातक किया था। वे 1972 से 1983 के बीच पीआरएल के निदेशक थे। प्रोफेसर लाल की गिनती भारत के प्रमुख कॉस्मिक रे भौतिक वैज्ञानिकों में होती है।
मुरसान क्रेटर : 10 किलोमीटर चौड़ा यह क्रेटर लाल क्रेटर के पूर्वी रिम पर टिका हुआ है। इसे यह नाम उत्तर प्रदेश के कस्बे मुरसान से मिला है। मुरसान में पीआरएल के वर्तमान निदेशक डॉ. अनिल भारद्वाज का जन्म हुआ था। डॉ. भारद्वाज देश के प्रतिष्ठित अंतरिक्ष वैज्ञानिक हैं।
 हिलसा क्रेटर : यह क्रेटर भी 10 किलोमीटर चौड़ा है और लाल क्रेटर के पश्चिमी रिम के नजदीक है। इसका नाम बिहार के कस्बे हिलसा के नाम पर रखा गया है। हिलसा में पीआरएल के एक और वैज्ञानिक डॉ. राजीव रंजन भारती का जन्म हुआ था। डॉ. रंजन भारती उस टीम का हिस्सा हैं, जिसने इन क्रेटर्स की खोज की है।