जम्मू कश्मीर में पहले चरण के विधानसभा चुनाव के लिए मतदान हो रहे है। पहले चरण के मतदान में लोगों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया है। जम्मू कश्मीर में 10 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद हो रहे मतदान को लेकर मतदान केंद्रों पर लंबी कतारें दिखी है। जम्मू कश्मीर में जब से केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त किया है, उसके बाद पहली बार केंद्र शासित प्रदेश में तीन चरणों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। इस चरण में सात जिलों में 24 सीट पर मतदान हुआ। केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद और पिछले 10 वर्षों में जम्मू कश्मीर में यह पहला विधानसभा चुनाव है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया था। इसके बाद जम्मू कश्मीर को राज्य की जगह दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख में विभाजित किया था। इस कदम के बाद जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव हो रहे है। अधिकारियों के अनुसार, मतदान शुरू होने के पहले दो घंटे में 11.11 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। अधिकारियों की मानें तो महिलाएं और बुजुर्ग मतदाता सुबह ही मतदान केंद्रों पर पहुंचे और मतदान में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते दिखे।
चुनाव आयोग के अधिकारियों के अनुसार जम्मू कश्मीर में मतदान सुबह सात बजे से शुरू हुआ है। इसकी शुरुआत से पहले ही कई केंद्रों पर लंबी कतारें देखने को मिली है। उन्होंने कहा कि दिन बढ़ने के साथ ही मतदान में तेजी देखने को मिली। समय के साथ मतदान केंद्रों के बाहर मतदाताओं की कतारें और लंबी हो गयीं। मतदाताओं ने कहा कि जम्मू कश्मीर के लोगों को लंबे समय के बाद अपनी विधानसभा के सदस्य चुनने का मौका मिल रहा है और वे इस अवसर का लाभ उठा रहे हैं।
इस वर्ष का चुनाव जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। जम्मू कश्मीर सामने कई मुद्दे हैं लेकिन राज्य का दर्जा बहाल करना सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है। इस बार विधानसभा चुनाव को देखते हुए सुरक्षा के भी पर्याप्त इंतजाम किए गए है। पहले चरण के दौरान सुचारू रूप से 24 विधानसभा सीटों पर मतदान हो रहा है। इसके तहत कुल 90 निर्दलीयों समेत 219 उम्मीदवारों की चुनावी किस्मत का फैसला 23 लाख से अधिक मतदान कर रहे है।
इस बार चुनाव अच्छे से हों इसके लिए 3,276 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। यहां कुल 14 हजार मतदान कर्मियों की ड्यूटी मतदान प्रक्रिया पर नजर रखने के लिए लगाई गई है। कश्मीर में इस बार चुनाव मैदान में कई प्रमुख उम्मीदवार हैं, जिनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के मोहम्मद यूसुफ तारिगामी, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) महासचिव गुलाम अहमद मीर, नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) की सकीना इटू, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के सरताज मदनी तथा अब्दुल रहमान वीरी शामिल हैं। पीडीपी की इल्तिजा मुफ्ती श्रीगुफवारा-बिजबेहरा और पार्टी की युवा इकाई के नेता वहीद पारा पुलवामा से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। जम्मू से प्रमुख नेताओं में पूर्व मंत्री सज्जाद किचलू (नेकां), खालिद नजीद सुहारवर्दी (नेकां), विकार रसूल वानी (कांग्रेस), अब्दुल मजीद वानी (डीपीएपी), सुनील शर्मा (भाजपा), शक्ति राज परिहार (डोडा पश्चिम) और गुलाम मोहम्मद सरूरी जो तीन बार के विधायक हैं और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) द्वारा टिकट नहीं दिए जाने के बाद निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं।
दो साल पहले गुलाम नबी आजाद के समर्थन में कांग्रेस छोड़ने के बाद वह डीपीएपी में शामिल हो गए थे। पूर्व विधायक दलीप सिंह परिहार (भाजपा), पूर्व विधान परिषद सदस्य फिरदौस टाक और इम्तियाज शान (पीडीपी), नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) की नेता एवं जिला विकास परिषद, किश्तवाड़ की मौजूदा अध्यक्ष पूजा ठाकुर और भाजपा का युवा चेहरा शगुन परिहार, जिनके पिता अजीत परिहार और चाचा अनिल परिहार की नवंबर 2018 में आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी, तथा आम आदमी पार्टी (आप) की मेहराज दीन मलिक चुनाव मैदान में उतरे प्रमुख चेहरों में शामिल हैं। बुधवार को जिन निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान हो रहा है उनमें पंपोर, त्राल, पुलवामा, राजपोरा, जैनापोरा, शोपियां, डीएच पोरा, कुलगाम, देवसर, डूरू, कोकेरनाग (सुरक्षित), अनंतनाग पश्चिम, अनंतनाग, श्रीगुफवारा-बिजबेहरा, शांगस-अनंतनाग पूर्व, पहलगाम, इंदरवाल, किश्तवाड़, पैडर-नागसेनी, भद्रवाह, डोडा, डोडा पश्चिम, रामबन और बनिहाल शामिल हैं। मतदान शाम सात बजे समाप्त होगा। दो अन्य चरणों के चुनाव के लिए मतदान 25 सितंबर और एक अक्टूबर को होगा जबकि मतगणना आठ अक्टूबर को होगी।