पश्चिम दिल्ली के एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भर जाने से तीन छात्रों की मौत की घटना से आक्रोशित सिविल सेवा अभ्यर्थियों और स्थानीय लोग ओल्ड राजेंद्र नगर स्थित राऊ कोचिंग सेंटर के बाहर मंगलवार को तीसरे दिन भी अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं। इस बीच, इस घटना को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी जारी है। घटना की जिम्मेदारी से बचने की जो होड़ राजनीतिक दलों में दिख रही है वह अभूतपूर्व है। वैसे, घटना के बाद जनता के आक्रोश को देखते हुए दिल्ली नगर निगम और दिल्ली सरकार नींद से जाग गयी है और बेसमेंट में चल रहे कोचिंग सेंटरों के खिलाफ अभियान छेड़ दिया गया है। लेकिन सवाल उठता है कि किसी दुर्घटना के बाद ही सरकार और प्रशासन क्यों जागता है?
इसके अलावा समय आ चुका है कि देश भर में कोचिंग सेंटरों की क्लास लगाई जाये। वहां जाकर जांचा जाये कि बच्चों के बैठने, पढ़ने और आपदा के समय निकास के समुचित प्रबंध हैं या नहीं। यह कोचिंग सेंटर अभिभावकों से मोटी रकम वसूलते हैं और सरकार इनकी ट्यूशन फीस पर मोटा जीएसटी वसूलती है। सरकार और कोचिंग सेंटरों की जिम्मेदारी बनती है कि वह बच्चों के जीवन को असुरक्षित वातावरण में नहीं रखें।