नई दिल्ली। देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी ए.जी. पेरारिवलन को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत पर रिहा करने का आदेश दे दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पेरारिवलन करीब 30 साल से जेल में बंद है और इस दौरान उसका चरण लगातार संतोषजनक रहा है। सरकार की ओर से देरी होने की वजह से उसे हमेशा जेल में नहीं रखा जा सकता। इधर पेरारिवलन ने बताया था कि तमिलनाडु सरकार के आदेश को राज्यपाल और केंद्र की मंजूरी नहीं मिलने से उसकी रिहाई नहीं हो पा रही है।जस्टिस एल नागेश्वर राव और बीआर गवई ने इन दलीलों को आदेश में दर्ज किया है।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के लिए पेश एडीशनल सॉलीसीटर जनरल के एम नटराज ने पेरारिवलन की रिहाई का कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा कि दोषी को 1999 में फांसी की सजा मिली थी। 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे उम्र कैद में बदल दिया था। इसके पीछे इस बात को आधार बनाया गया था कि राष्ट्रपति उसकी दया याचिका पर फैसले लेने में लंबा वक्त लगा रहे हैं। साथ ही इस बात को भी आधार बनाया गया कि उसने काफी समय जेल में बिताया है। नटराज का कहना था कि जब एक बार दोषी को लंबे समय तक जेल में रहने के आधार पर रियायत मिल चुकी है, तो दोबारा उसे इस बात का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए।
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने यह भी कहा कि कानूनन पेरारिवलन की सजा माफ करने का निर्णय लेना केंद्र का काम है। कोर्ट को इस मामले में आदेश नहीं देना चाहिए। जजों ने इन दलीलों को नोट किया, उन्होंने दोषी को जमानत पर रिहा करने को सही माना। कोर्ट का मानना था कि राज्य सरकार, राज्यपाल और केंद्र की शक्ति की व्याख्या से जुड़े इस मामले को बाद में सुना जाएगा। लेकिन तब तक दोषी को जेल में बंद रखना सही नहीं होगा।
1991 को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में हत्या हुई थी। 11 जून 1991 को पेरारिवलन गिरफ्तार हुए। उस पर बम धमाके में काम आई 8 वोल्ट की बैटरी खरीद पर हमले के मास्टरमाइंड शिवसरन सिंह को देने का दोष सिद्ध हुआ था। घटना के वक्त 19 साल के रहे पेरारिवलन ने जेल में रहने के दौरान अपनी पढ़ाई जारी रखी। अच्छे नंबरों से कई डिग्रियां हासिल की। कोर्ट ने उसे जमानत देते हुए इन बातों का भी उल्लेख अपने आदेश में किया है।