Breaking News

पराई पीर का प्याला तुम्हें पीना नहीं आया

जौनपुर। पंडित रूप नारायण त्रिपाठी हिंदी साहित्य के कालजयी रचनाकार हैं। उनके गीतों में सरसता एवं सहजता दर्शनीय है। उक्त उद्गार डॉक्टर महेंद्र कुमार त्रिपाठी ने पंडित रूपनारायण त्रिपाठी की 32 वीं पुण्यतिथि पर टीडी कॉलेज में आयोजित संगोष्ठी में व्यक्त किए गए। उन्होंने कहा कि श्री त्रिपाठी की कविता में जो ताजगी और महक है उसका वर्णन करना बहुत ही कठिन है। उन्होंने लिखा है- सूर्य सा दीप्त हो या सुघर चांदनी सा,रूप तो एक अभिव्यक्ति है धूल की,किंतु जिससे महकता समय का सफर,प्यार वह गंध है आयु के फूल की।पढ़कर उपस्थित श्रोताओं का मन मोह लिया। अध्यक्षता करते हुए हिंदी विभाग की अध्यक्ष डॉ0 सुषमा सिंह ने कहा की पंडित जी की कविताओं को जितनी बार पढ़िए इतनी बार उस में नवीनता दिखाई देती है। वह बहुत बड़े रचनाकार हैं लेकिन दुर्भाग्य है की उनको वह प्रसिद्ध नहीं मिली जिसके वह हकदार थे। अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डॉ0 रूद्र नारायण ओझा ने पंडित रूप नारायण त्रिपाठी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए उनकी रचना का वाचन किया। हिंदी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर राज देव दुबे ने कहा कि पंडित जी की रचना कालजयी उनको उच्च कोटि के साहित्यकार के श्रेणी में प्रतिष्ठित करती है। कालजयी रचना में पंडित जी ने आत्मबोध, समाधान की खोज,आत्मा, धर्म और संप्रदाय आदि विषयों पर हाड़ा रानी और चूड़ामणि की कथा के माध्यम से प्रकाश डाला है। उन्होंने लिखा है- अजीब हैं लोग, ओढ़-पहनकर महत्वपूर्ण होने का ढोंग/कभी चढ़ गए पोथियों के पर्वत पर, उत्तरोत्तर होते गए कठिन,संभव नहीं हुआ सहज और सरल होना, हाय कितना कठिन हुआ करता, आदमी के लिए सरल होना।हिंदी विभाग क डॉक्टर ओम प्रकाश सिंह ने पंडित रूप नारायण त्रिपाठी के रचनाओं के संग्रह रूप रचनावली का सस्वर वाचन करते हुए कहा- पराई पीर का प्याला तुम्हें पीना नहीं आया / मनुजता का फटा आंचल तुम्हें सीना नहीं आया/ भले ही तुम फरिश्तों की तरह बातें करो लेकिन / अभी तक आदमी बनकर तुम्हें जीना नहीं आया। असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ0 अवनीश सिंह ने कहा के पंडित रूप नारायण त्रिपाठी एक लोकप्रिय कवि हैं । प्राचीन इतिहास विभाग के अध्यक्ष डॉ0 प्रदीप सिंह ने भी पंडित जी की पत्तियों को सुनाया ।कार्यक्रम में महेंद्र मौर्य ने अपना विशिष्ट योगदान दिया। संचालन एवं आभार प्रदर्शन डॉ महेंद्र कुमार त्रिपाठी ने किया।