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अफगानिस्तानियों के दिलों में भारत के खिलाफ नफरत घोली जा रही है

काबुल। एक तरफ भारत अफगानिस्तान की मदद के लिए दवाइयां, रसद जैसी चीजें भेज रहा है, तो दूसरी तरफ वहां की तालिबानी सरकार भारत को उकसाने की कोशिश कर रही है। सामने आया है कि अफगानिस्तान ने अपनी एक सैन्य टुकड़ी का नाम ‘पानीपत’ रखा है। इसे भारत को उकसाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पानीपत ऑपरेशनल यूनिट की तैनाती अफगानिस्तान के पूर्वी प्रांत नांगरहार में की जाएगी।

दरअसरल, पिछले साल अगस्त में तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा जमा लिया था, यह सब तब हुआ जब अमेरिकी सेना वहां से वापस हो रही है। इसके बाद से तालिबान अपनी हुकूमत वहां पर चला रहा है। वह मनमाने तरीके से फैसले ले रहा है। हालांकि, अभी तक किसी भी देश ने औपचारिक रूप से तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है।

क्यों रखा सैन्य टुकड़ी का नाम पानीपत
पानीपत की तीसरी लड़ाई 1761 में लड़ी गई थी। इस लड़ाई में अफगान शासक अहमद शाह दुर्रानी ने मराठाओं को परास्त किया था। यही कारण है कि अफगानिस्तान इस ऐतिहासिक घटना पर राजनीति करते हुए भारत को उकसाने की कोशिश कर रहा है। अफगानिस्तान के आमज न्यूज ने अपने एक ट्वीट में कहा है कि ‘पानीपत ऑपरेशनल यूनिट’ की तैनाती देश के पूर्वी प्रांत नांगरहार में होगी। यह प्रांत पाकिस्तान की सीमा से लगता है। ट्वीट में एक तस्वीर साझा की गई है। इसमें एक सैनिक यूनिफॉर्म में दिखाई दे रहा है। सैनिकों के हाथ में अमेरिकी राइफल है।

मस्जिदों में सुनाई जाती है दुर्रानी की कहानी
अफगानिस्तान के लोगों के दिलों में भारत के खिलाफ नफरत घोली जा रही है। कुछ रिपोर्ट में सामने आया है कि मुस्लिमों को अपने समर्थन में करने के लिए अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार लोगों को अहमद शाह दुर्रानी के किस्से सुनाती है। इन लोगों को मस्जिदों में पातीपत के युद्ध के बारे में बताया जाता है। कहा जाता है कि कश्मीर से लेकर फिलिस्तीन तक पानीपत की कहानी मशहूर थी।