Breaking News

हल्द्वानी में हिंसा भड़कने के की प्रशासन पर पहले से थी जानकारी, फिर भी किया नजरअंदाज

उत्तराखंड के हलद्वानी में गुरुवार को प्रशासन ने अवैध रूप से निर्मित एक मस्जिद और एक मदरसे को ध्वस्त कर दिया गया था, जिसके बाद इलाके में हिंसा भड़क गयी थी। हिंसा के बाद से इलाके में तनाव का मौहाल बना हुआ था, जो अब सामान्य हो गया है। रविवार सुबह दुकानें फिर से खुल गईं और कई इलाकों में बंद की गयी इंटरनेट सेवाओं को भी बहाल कर दिया गया है। हालाँकि, पुलिस अभी भी अलर्ट पर है और स्थित की निगरानी कर रही है। इन सब के बीच एक रिपोर्ट सामने आयी है, जिसमें कहा गया है कि काफी पहले से हल्द्वानी को जलाने की तैयारियां चल रही थी। खुफिया एजेंसी ने स्थानीय प्रशासन को इस बात की जानकारी भी दी थी, जसी उन्होंने नजरअंदाज किया।

इंटेलिजेंस ने एक हफ्ते पहले पुलिस अधिकारियों को खुफिया इनपुट भेजे थे। इनपुट में कहा गया था कि मुस्लिम संगठन और कट्टरपंथी लोग मस्जिद और मदरसे को हटाने की कार्रवाई का विरोध कर सकते हैं। इंटेलिजेंस ने स्थानीय प्रशासन को हिंसा भड़कने की चेतावनी भी दी थी। इतना ही नहीं रिपोर्ट में ये भी कहा गया था कि विरोध-प्रदर्शन महिलाओं और बच्चों को शामिल किया जा सकता है।

रिपोर्ट में कार्रवाई के दौरान कानून व्यवस्था को बनाये रखने के लिए फोटोग्राफी, पीएसी तैनाती जैसे कुछ तरीके अपनाने की सलाह दी गयी थी। इंटेलिजेंस के सभी इनपुट को स्थानीय प्रशासन ने नजरअंदाज किया, जिसकी वजह से हल्द्वानी में बड़े स्तर पर हिंसा हुई। उत्तराखंड के गृह विभाग के सूत्रों ने बताया कि सीएम पुष्कर सिंह धामी की वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के साथ बैठक में ये मुद्दा उठाया गया है।

उत्तराखंड की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने शनिवार को केंद्रीय गृह सचिव को लिखे पत्र में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की चार अतिरिक्त कंपनियों का अनुरोध किया था। हल्द्वानी के ताजा हालातों की बात करें तो बनभूलपुरा क्षेत्र को छोड़कर शेष हल्द्वानी में कर्फ्यू हटा दिया गया है। शहर में करीब 1000 सुरक्षाकर्मी पहले से ही तैनात हैं। बनभूलपुरा में दुकानें बंद हैं और सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है।