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हरियाणा की राजनीति में आम आदमी पार्टी की एंट्री बस ‘वोटकटवा’ की तो नहीं

सयेद मोजीज़ इमाम 

हरियाणा में चुनाव के लिए एक साल से ज्यादा का वक्त बचा है. लेकिन आम आदमी पार्टी ने मुख्यमंत्री का उम्मीदवार भी घोषित कर दिया है. पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष नवीन जयहिंद को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार बनाया है. हरियाणा के चुनाव के लिए आप ने अपनी दावेदारी पेश की है. राज्य की राजनीति में तीन मजबूत दल पहले से हैं. चौथी पार्टी के तौर पर आप उतर रही है. दिल्ली में आप की सरकार चल रही है. जहां आप के पास प्रचंड बहुमत है.

दिल्ली का असर हरियाणा में भी होगा ऐसा आप मान के चल रही है. हालांकि हरियाणा के चुनाव में मुद्दे अलग रहते हैं. खासकर किसानों का मसला हरियाणा में छाया रहता है. लेकिन आप का दांव गैर जाट पर है. हरियाणा की राजनीति जाट और गैर जाट के इर्द-गिर्द घूमती रहती है. वर्तमान में बीजेपी के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर हैं. जो गैर जाट है.

आप का गैर-जाट का दांव

हरियाणा में आप ने गैर-जाट पर दांव लगाया है. बकायदा ऐलान में पंडित नवीन जयहिंद का नाम लिया गया है. आप की राजनीति के बरअक्स जाति सूचक शब्द के साथ ऐलान होना ये दर्शाता है कि पार्टी गैर-जाट मतदाताओं को खींचने की कोशिश कर रही है. हरियाणा में आईएनएलडी को जाट का सबसे ज्यादा वोट मिलता रहा है. हालांकि कांग्रेस ने भूपेन्द्र सिंह हुड्डा को दस साल मुख्यमंत्री बनाकर इस वोट पर सेंध मारने की कोशिश की है. पार्टी ने जाट आरक्षण का भी दांव चला था. लेकिन इसका ज्यादा फायदा नहीं मिला है.

2014 के चुनाव में कांग्रेस तीसरे नंबर की पार्टी बन गई. पहले नंबर पर बीजेपी है. जिसके पास 34 फीसदी वोट के सात लोकसभा की सीटें हैं. वहीं विधानसभा में 33 फीसदी वोट के साथ 47 सीटें हैं. वहीं आईएनएलडी के पास दो लोकसभा की सीट है. जिनके पास लगभग 24 फीसदी वोट है.पार्टी के पास 19 विधायक हैं. कांग्रेस के पास लोकसभा में एक सासंद है. विधानसभा में 15 विधायक हैं.लोकसभा चुनाव में पार्टी को 23 फीसदी वोट मिले जो घटकर विधानसभा चुनाव में 20 फीसदी हो गया.

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इस बीच कांग्रेस और हरियाणा जनहित कांग्रेस का विलय हो गया. जिससे पार्टी के वोट बेस में इजाफा हुआ है. लेकिन आईएनएलडी और बीएसपी के साथ जाने से ताकत बढ़ी है. बीएसपी को 2014 के विधानसभा चुनाव में 4.4 फीसदी वोट मिला था.

पंडित जयहिंद वाले दांव के मायने

आप ने नवीन जयहिंद को पंडित बताकर 8 फीसदी ब्राह्मण वोट पर निगाह गड़ाई है. ब्राह्मण और पंजाबी जिनकी तादाद आठ फीसदी है एक साथ वोट करते हैं. जिसका फायदा आप को मिल सकता है. इसके अलावा 4 फीसदी वोट वैश्य का है. जिस पर आप की निगाह है. पंजाब में आप की मजबूती से 4 फीसदी सिख वोट भी कुछ हिस्सा मिल सकता है.

आप ने नरायन गुप्ता और सुशील गुप्ता को राज्यसभा भेजा है. जिनका हरियाणा कनेक्शन है. अरविंद केजरीवाल खुद हरियाणा के बाशिंदे है. जो चुनाव के दौरान पार्टी के लिए सहायक साबित हो सकते हैं. बीजेपी के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर 2 फीसदी वाले खत्री वोट से आते हैं. हालांकि बीजेपी के पास राम विलास शर्मा के रूप में ब्राह्मण नेता भी है.

जाट के लिए चौधरी बिरेंद्र सिहं, कैप्टन अभिमन्यु हैं .मेवात गुरुग्राम में यादव  वोट 5 फीसदी हैं. इसके लिए बीजेपी ने राव इंद्रजीत सिंह को मंत्री बना रखा है. कांग्रेस के बागी नेता ही बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हुए हैं. चौधरी बिरेंद्र सिंह और राव इंद्रजीत के पार्टी छोड़ने से कांग्रेस तीसरे नंबर पर खिसक गई है. इस बार कांग्रेस दलित वोट पर फोकस कर रही है.

जाट के बाद दलित वोट महत्वपूर्ण

हरियाणा में जाट के बाद दलित वोट है. जिसपर इस बार निगाह है. कांग्रेस ने दलित वोट अपने पाले में रखने के लिए अशोक तंवर को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है. जो हरियाणा में पार्टी के पक्ष में मेहनत कर रहें हैं. साईकिल यात्रा के जरिए बीजेपी के विरोध में माहौल बना रहें हैं. बीएसपी आईएनएलडी के संभावित गठबंधन पर अशोक तंवर का कहना है कि दलित वोट कांग्रेस के साथ मजबूती से खड़ा हुआ है. अशोक तंवर का दावा है कि सुप्रीम कोर्ट के एससी एसटी एक्ट के फैसले के खिलाफ सबसे पहले उन्होंने आवाज उठाई थी.

ashok tanwar

बीएसपी को अकेले चुनाव लड़ने के बाद सिर्फ चार फीसदी वोट मिला था. अब आईएनएलडी के साथ जाने से बीएसपी के वोट में कोई बढ़ोत्तरी नहीं होने वाली है. वहीं आप का पंडित वाला दांव सिर्फ वोट काटने का जरिया है. बहरहाल कांग्रेस के नेता आप के इस दांव को अपने हिसाब से व्याख्या कर रहें हैं. लेकिन पंजाब में आप दूसरे नंबर की पार्टी है. जहां तक दलित वोट का सवाल है ये पूरे हरियाणा में फैला हुआ है. जिससे इसकी ताकत जाट से कम नहीं आंकी जा रही है.

हरियाणा में गैर जाट सीएम

बीजेपी ने ओम प्रकाश चौटाला और भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मात देने के लिए मनोहर लाल खट्टर वाला दांव चला था. हालांकि 2014 के चुनाव में बीजेपी को जाट का वोट भी मिला था. मनोहर लाल खट्टर 18 साल बाद गैर जाट सीएम बने हैं. इससे पहले भजनलाल जाट सीएम थे. लेकिन बीजेपी के इस दांव से जाट तबका नाराज बताया जा रहा है. लेकिन जाट वोट कई हिस्सों में बंट रहा है इससे उसकी ताकत कम हो रही है. लेकिन जाट एकमुश्त जिस पार्टी के साथ जाएगा. उसकी सरकार बनने की संभावना बढ़ जाएगी. आरक्षण के मुद्दे पर भी जाट बीजेपी से नाराज है.

कांग्रेस में आपसी मतभेद

कांग्रेस के भीतर कई खेमें बने हैं. प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बीच खेमेबंदी है. अशोक तंवर को राहुल गांधी के करीबी होने का फायदा मिल रहा है. वहीं भूपेंद्र सिंह हुड्डा दोबारा सेंटर स्टेज पर आने के लिए जद्दोजहद कर रहें हैं. जिसके लिए हरियाणा के कई इलाकों में दौरा करके जमीन टटोलने की कोशिश कर रहें हैं. कांग्रेस का नुकसान आपसी मतभेद की वजह से ज्यादा हो रहा है. पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी भी कई बार दोनों खेमों को साथ चलने की सलाह दे चुके हैं.