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सरकारी नौकरी में आरक्षण के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बदले नियम, जानिए क्‍या हुआ बदलाव

इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने आरक्षण का लाभ लेने वालों के लिये पूर्व में लागू नियमावली में बदलाव किया है। राज्य सरकार की वैकेंसी में नयी नियमावली का पालन करने वालों को ही आरक्षण का लाभ मिलेगा। नये नियम के तहत अब जाति आधारित आरक्षण में प्रमाण पत्र जमा करने का नियम खत्म कर दिया गया है । अब फार्म भरते समय ही निर्धारित डेट पर जाति प्रमाण पत्र जमा करना होगा। तिथि के अंदर प्रमाण पत्र जमा न करने पर संबंधित अभ्यार्थी को आरक्षण लाभ नहीं दिया जायेगा।

हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ से मंजूरी आरक्षण के इस नियम को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी अपनी स्वीकृति दे दी है । दरअसल हाईकोर्ट में आरक्षण से संबंधित एक याचिका अरविंद कुमार यादव ने दाखिल की थी। जिसमे तय तिथि के बाद प्रमाण पत्र जमा करने पर आरक्षण का लाभ न देने पर सरकार को चुनौती दी थी। इस मामले की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट के तीन जजों की पूर्णपीठ चीफ जस्टिस डीबी भोसले, जस्टिस दिलीप गुप्ता एवं जस्टिस यशवंत वर्मा ने शुरू की तो योगी सरकार से उनकी मंशा पूछी गई । जिसके बाद योगी सरकार ने नयी नियमावली कोर्ट में देते हुये बताया कि आरक्षण का लाभ तय तिथि के अंदर प्रमाण पत्र जमा करने वालों को ही मिलेगा। इस पर हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुये कहा कि वैकेंसी के विज्ञापन में जाति प्रमाण पत्र देने के लिए यदि कोई तारीख निर्धारित है तो उस तारीख के बाद किसी अभ्यर्थी का जाति प्रमाण पत्र लेने के लिए नियोक्ता को विवश नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट की पूर्ण बेंच ने योगी सरकार की इस नियमावली को मंजूरी दे दी है। ऐसे में अब इसे दुबारा चैलेंज भी नहीं किया जा सकेगा।

यूपी में लागू होगा नियम केन्द्र सरकार व दूसरे राज्यों की वैकेंसी के लिये यह नियम बाध्यकारी तो नहीं होगा। लेकिन उत्तर प्रदेश की प्रत्येक वैकेंसी में अब यह नियम पूर्णकालिक रूप से लागू होगा। अब जो भी अभ्यर्थी राज्य सरकार की नौकरी के लिए आवेदन करेगा। उसे निर्धारित प्रमाण पत्र प्रकिया के मानदंडों को पूरा करना होगा तभी अभ्यर्थी को प्रमाण पत्र के दायरे में आरक्षण का लाभ मिल सकेगा।

क्यों लागू हुआ नियम सरकार की ओर से हाईकोर्ट मे दलील दी गई कि अगर निर्धारित तारीख के भीतर जाति प्रमाण पत्र न जमा हुआ तो संबंधित अभ्यर्थियों के फार्म स्क्रीनिंग व चयन प्रक्रिया अधर में लटक जाती है। जिससे भर्ती प्रक्रिया पूरी ही नहीं हो पाती और विवाद बढता है। तय तारीख पर अगर प्रमाण पत्र जमा होंगे तो भर्ती प्रक्रिया पारदर्शी ढंग से व समयसीमा में पूर्ण हो जायेगी।