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लखनऊ विश्वविद्यालय : बीएड में खाली बच गईं हजारों सीटें, नौकरी के कम मौके बने बड़ी वजह

लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय की बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा में इस वर्ष एक चौथाई सीटें खाली बच गईं। जबकि, दाखिले के लिए इस वर्ष दो लाख दो हजार सीटें थीं। इनमें से एक लाख 48 हजार 509 सीटों पर ही दाखिले हुए। करीब54 हजार सीटें खाली रह गईं। रविवार को प्रवेश प्रक्रिया संपन्न हो गई।

सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन की वजह से 15 जुलाई के बाद बीएड में दाखिले नहीं किए जा सकते हैं। बीएड के प्रति घटते रुझान का आलम यह है कि इस वर्ष चार चरणों के बाद सीधे दाखिले किए गए हैं, लेकिन चारों चरणों की काउंसलिंग के बाद बीएड में महज 97 हजार दाखिले ही हुए।

कॉलेज में खाली सीटों को देखते हुए विवि ने सीधे दाखिलों को मंजूरी दी, लेकिन इसका मौका केवल उन अभ्यर्थियों को ही दिया गया जो प्रवेश परीक्षा में शामिल हुए हों और उन्हें रैंक भी मिली हो। सीधे दाखिलों में गड़बड़ी रोकने के लिए लविवि ने कॉलेज के साथ ही अभ्यर्थी के मोबाइल पर कोड भेजकर भी दाखिले सत्यापित किए हैं।

हर साल बढ़ रही है बेरोजगारों की संख्या

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जानकारों की मानें तो बीएड से अभ्यर्थियों का रुझान घटने की सबसे बड़ी वजह नौकरी के कम मौके होना है। सरकारी नौकरियों के मुकाबले हर साल पास होने वाले विद्यार्थियों की संख्या कई गुना ज्यादा है। इसलिए हर साल बेरोजगारों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। इसके अलावा, सरकारी सीटें भरने के बाद कॉलेज की सेल्फ फाइनेंस सीट पर दाखिला लेना होता है। ऐसे में दो साल की फीस ही एक लाख से ज्यादा हो जाती है। सीट खाली रहने की यह भी एक बड़ी वजह है।

संभव है कि नौकरी के कम मौके होने की वजह से बीएड की सीटें खाली रह गई हों, लेकिन बैकडोर से दाखिले न हों इसकी पूरी व्यवस्था की गई थी। प्रवेश प्रक्रिया संपन्न हो चुकी है। प्रदेश में करीब 54 हजार सीटें खाली बची हैं। – प्रो. नवीन खरे
प्रवेश समन्वयक, लविवि