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मुद्दों को सुलझाने के लिए बीजेपी और सहयोगी बनाएंगे जॉइंट कमिटी

नई दिल्ली । बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की सहयोगी पार्टी शिवसेना और शिरोमणी अकाली दल के प्रमुखों से मुलाकात के बाद एनडीए के अंदर उठ रहे विवादों पर फिलहाल विराम लग गया है। गठबंधन ने बीजेपी के साथ एक जॉइंट कमिटी बनाने का फैसला किया है, ताकि बचे हुए मुद्दों को भी सुलझाया जा सके, इसे में आने वाले लोकसभा चुनाव से पहले सीटों के बंटवारे के मुद्दों को सुलझाना भी शामिल है।

हाल के उपचुनावों में बीजेपी की हार ने एनडीए के सहयोगियों, खास तौर पर शिवसेना, अकाली दल, जेडीयू, एलजेपी और आरएलएसपी को खुद को ज्यादा तवज्जो देने और नरेंद्र मोदी सरकार से डिमांड करने का मौका दे दिया है। ये सहयोगी अपनी मांगों पर ज्यादा तवज्जो चाहते हैं, महत्वपूर्ण मुद्दों पर बीजेपी के साथ संवाद की प्रक्रिया और आने वाले लोकसभा चुनाव में सीटों का सम्मानजनक बंटवारा चाहते हैं।

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और शिरोमणी अकाली दल के प्रमुख प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर सिंह बादल के बीच गुरुवार को चंडीगढ़ में मुलाकात हुई, दोनों पक्षों ने सकारात्मक चर्चा की बात कही। सूत्रों का कहना है कि जॉइंट कमिटी में बीजेपी और शिरोमणी अकाली दल के 3 सदस्य होंगे, जो सभी मुद्दों के साथ सीटों के बंटवारे पर भी चर्चा करेंगे। सुखबीर सिंह बादल इस कमिटी के प्रमुख होंगे।

शिरोमणी अकाली दल ने बताया कि अपने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी और एसएडी के बीच 10-3 (3 सीट बीजेपी और 10 सीट एसएडी की) के फॉर्म्युला के पर काम होगा। बताया जा रहा है कि बीजेपी कुछ और सीटों की मांग कर रही है। शिरोमणी अकाली दल की यह भी शिकायत है कि पिछले कुछ दिनों में मोदी सरकार की तरफ से लिए गए फैसलों को लेकर उनके साथ चर्चा नहीं हुई है, कुछ फैसलों को लेकर शिरोमणी अकाली दल ने खुद को नजरअंदाज किए जाने की बात कही है। अब इस तरह के सभी मुद्दे जॉइंट कमिटी द्वारा सुलझाए जाएंगे।

वहीं इसी तरह की एक कमिटी महाराष्ट्र मे शिवसेना के साथ पहले से बनाई गई है, बीजेपी को लगता है कि उद्धव ठाकरे की पार्टी राज्य में कांग्रेस-एनसीपी से मिल रही चुनौतियों के बाद भी सहयोग करने को तैयार नहीं है। शाह के मातोश्री जाने के दौरान, उद्धव और शाह के बीच मुलाकात हुई। बीजेपी के एक नेता ने कहा, ‘हम दोनों को ही गठबंधन जारी रखने की जरूरत है। सेना अगर अकेले लड़ी तो उन्हें ज्यादा नुकसान होगा। हमें पूरा भरोसा है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी-सेना गठबंधन अटूट रहेगा।’

बताया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव को लेकर दोनों पार्टियों के बीच 50:50 के फॉर्म्युले पर बात चल रही है। पूर्व सेना प्रमुख बाल ठाकरे के निधन के बाद राज्य में बीजेपी के प्रमुखता के साथ उभरी है, जबकि सेना को कई मौकों पर नुकसान उठाना पड़ा है। हाल ही में पलघर उपचुनाव के नतीजे इस बात के ताजा उदाहरण हैं।

बिहार में, ताजा विवाद का कारण सीटों के बंटवारा है। रामविलास पासवान की एलजेपी और उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी को डर है कि अब जेडीयू भी एनडीए का हिस्सा है, ऐसे में उन्हें कम सीटों पर संतोष करना पड़ सकता है। बीजेपी ने अपने बिहार सहयोगियों के लिए गुरुवार को डिनर पार्टी का आयोजन किया था। बीजेपी सहयोगियों को साधने के लिए आने वाले दिनों में ऐसे कई और आयोजन कर सकती है।