भाजपा ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर विधान परिषद चुनाव में पूरब से पश्चिम तक अगड़े और पिछड़ो पर दांव चला है। पार्टी ने दो ठाकुर, एक ब्राह्मण, एक वैश्य, एक भूमिहार और दो पिछड़ों को मैदान में उतारा है। तमाम कोशिश के बाद भी सामाजिक संतुलन बैठाने में चूक रही है। सात प्रत्याशियों में एक भी दलित और अल्पसंख्यक सदस्य नहीं हैं।
पश्चिमी यूपी में गुर्जर समाज को साधने के लिए पूर्व परिवहन राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार अशोक कटारिया और पार्टी ने अपने जाट बैंक पर कब्जा बनाए रखने के लिए प्रदेश उपाध्यक्ष मोहित बेनीवाल को टिकट दिया है।
वहीं पूर्वांचल में ब्राह्मण वोट बैंक को संदेश देने के लिए आजमगढ़ के विजय बहादुर पाठक को फिर मौका मिला है। पूर्वांचल और अवध में ठाकुर वोट बैंक में आधार बरकरार रखने के लिए डॉ. महेंद्र सिंह और संतोष सिंह को प्रत्याशी बनाया गया है।
अवध से पूर्वांचल तक भूमिहार समाज को संतुष्ट रखने के लिए धर्मेंद्र सिंह को मौका दिया है। एनडीए के दस उम्मीदवारों के सामाजिक समीकरण में अगड़े समाज से दो ठाकुर, एक ब्राह्मण, एक वैश्य, एक भूमिहार हैं। जबकि तीन पिछड़ों में दो जाट, एक गुर्जर और एक कुर्मी हैं।