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ब्रज में मठ मंदिरों तक ’सिमटती जा रही विश्व प्रसिद्ध होली’

मथुरा। विश्व प्रसिद्ध ब्रज की होली अब मठ मंदिरों तक सिमटती जा रही है। सब जग होरी या ब्रज होरा की कहावत ब्रज की जिस ठेठ होली के लिए कही गई थी अब उस होली को खुद ब्रजवासी भी तलाश रहे हैं। ब्रज में पूरे फागुन के महीने होली खेजी जाता है यह अब भी कहा जाता है। परंपराओं और रीति रिवाजों के हिसाब से मठ, मंदिर और आश्रमों में पूरी श्रद्धा और उल्लास के साथ होल हो रही है लेकिन आमजन के बीच होली का उल्लास नजर नहीं आ रहा है। फाल्गुन मास का आखिरी सप्ताह शुरू होने को है। रंगभरनी एकादशी भी अब दूर नहीं है लेकिन ब्रज के आमजनमानस में होली का उल्लास कहीं नजर नहीं आ रहा है। 70 वर्षीय शांति स्वरूप उपाध्याय कहते हैं कि पहले देश विदेश से लोग ब्रज की होली देखने के लिए आते थे और ब्रजवासियों को होली खलते हुए देखकर मस्त हो जाते थे। अब बाहर से आए लोगों के रंगबिरंगे चेहरे देखकर पता चलता है कि ब्रज में होली आ गई है। नई पीढी को होली के रसिया, सांखी जैसी परंपराओं की समझ नहीं रह गई है। रातभर मौहल्ले के महिला और पुरूष सांखी गाय के साथ होली खलते थे। यह ब्रज की ठेठ होली का सांस्कृतिकरूप था। दिनभर काम करने के बाद रात में होने वाली होली की यह मस्ती सब थकान दूर कर देती थी। अब तो होली वाले दिन भी नई पीढी डीजे पर तेज आवाज में बजते फिल्मी गीतों पर ही थिरकते हैं। लोगों के पास समय नहीं रह गया है और सौहार्द भी उतना नहीं बचा है।
पहले होली होती थी, अब आयोजन होते हैं
65 वर्षीय चंद्रभान सैनी कहते हैं कि पहले ब्रज में नैसर्गिकरूप से होली होती थी। अब होली के आयोजन होते हैं। आयोजित होने वाले होली के कई कार्यक्रम अब प्रयोजित भी होने लगे हैं। ब्रज की होली आयोजन और प्रयोजनों के लिए नहीं बल्कि यहां की अल्हड होली और आम आदमी के तनमन में जगने वाले होली के उल्लास के लिए जानी जाती रही है। सवा महीने के होली का उल्ला अब कुछ एक दिन तक सिमट कर रह गया है।
बाजारों में नहीं दिख रही रौनक
10 मार्च को फाग आमंत्रण उत्सव नंदगांव है, बरसाना की लठामार होली 11 मार्च को होनी हैं, इसके बाद नंदगांव, श्रीकृष्ण जन्मस्थान, गोकुल आदि स्थानों पर होली के विश्व प्रसिद्ध आयोजन होंगे। गोकुल स्थिति रमणरेती आश्रम में होली का विशेष आयोजन संपन्न हो चुका है। बावजूद इसके बाजारों में होली की रौनक नजर नहीं आ रही है। रंग, गुलाल, पिचकारी की दुकानें कहीं नहीं दिख रही हैं। खरीदार भी नदारद हैं।