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फिर ‘झुके’ अखिलेश यादव, कैबिनेट विस्तार में हो सकती है दो हफ्ते पहले बर्खास्त हुए मंत्री की वापसी

akhilesh-yadav-ram-gopalलखनऊ। इसी महीने की शुरुआत में लिए कुछ कड़े फैसलों से पलटने का सिलसिला सोमवार को उस समय पूरा हो जाएगा, जब विवादास्पद मंत्री रहे गायत्री प्रजापति को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपने आठवें मंत्रिमंडल विस्तार के तहत फिर कैबिनेट में शामिल करेंगे. इस विस्तार के तहत अखिलेश की टीम में मौजूद तीन रिक्तियों को भरा जाना है.

खनन मंत्री रहे गायत्री प्रजापति को अखिलेश यादव ने लगभग दो सप्ताह पहले एक अन्य मंत्री राजकिशोर सिंह के साथ भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त किया था. इस फैसले से अखिलेश की उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव के साथ ‘जंग’ शुरू हो गई, जिसमें आखिरकार अखिलेश को ही झुकना पड़ा, क्योंकि उनके पिता समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने इस जंग में अपने छोटे भाई शिवपाल का साथ दिया, जिससे अखिलेश को अपने फैसले पलटने के लिए मजबूर होना पड़ा.

अपने चाचा से महत्वपूर्ण मंत्रालय छीन लेने के तीन ही दिन बाद अखिलेश यादव ने घोषणा कर दी थी कि वह अधिकतर विभाग अपने चाचा को लौटा रहे हैं. मुलायम सिंह यादव के हस्तक्षेप के बाद हुई ‘संधि’ के बाद शिवपाल यादव को पार्टी की राज्य इकाई का अध्यक्ष पद भी संभालने को मिल गया, जो कुछ ही महीनों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव की वजह से काफी महत्वपूर्ण है, और इससे पहले यह पद भी अखिलेश यादव के पास ही था.
इस ‘जंग’ के दौरान मुलायम सिंह यादव का वह फैसला अखिलेश यादव के लिए सबसे बड़ी ‘चोट’ माना गया, जिसके तहत उन्होंने एक वक्त पार्टी से निकाल बाहर किए गए अमर सिंह को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया था. अखिलेश यादव ने बिना नाम लिए अमर सिंह पर आरोप लगाया था कि ‘परिवार के बीच गलतफहमियों’ के लिए ‘बाहरी लोग’ ज़िम्मेदार हैं.

गायत्री प्रजापति को न सिर्फ शिवपाल यादव, बल्कि मुलायम सिंह यादव का भी करीबी माना जाता है, और उनकी बर्खास्तगी को अखिलेश यादव की ओर से की गई बगावत का संकेत माना गया था, लेकिन अब गायत्री प्रजापति की मंत्रिमंडल में वापसी को लेकर भी अखिलेश के सिर पर विपक्ष के हमले की तलवार लटक रही है.

लखनऊ के एक जाने-माने समाजसेवी ने उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाइक को अर्ज़ी देकर राज्य मंत्रिमंडल में सोमवार को होने जा रहे शपथग्रहण समारोह में गायत्री प्रजापति को वापस लिए जाने को चुनौती दी है. समाजसेवी नूतन ठाकुर ने कहा कि प्रजापति को मंत्री के तौर पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों की वजह से हटाया गया था, जब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अवैध खनन में सरकारी पदाधिकारियों की शिरकत के आरोपों की जांच करने के निर्देश सीबीआई को दिए थे.