मुन्ना बजरंगी जब पीलीभीत जिला जेल में दाखिल होते समय अमर उजाला से चंद सेकेंड हुई बात में अपने खतरे की आशंका जताई थी। कारण पूछने पर उसने बताया कि झांसी जेल में सब कुछ ठीक चल रहा था, उसने कहीं और जाने की इच्छा भी नहीं जताई फिर भी उसे यहां भेज दिया गया। मुन्ना ने यह कह कि सरकार उसे परेशान कर रही है, एक तरह प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा दिया था।
परिवार वालों को सता रहा था मुन्ना की सुरक्षा का भय
मुन्ना बजरंगी जब झांसी से पीलीभीत जेल लाया गया तो जेल गेट पर पुलिस वाहन में बैठे मुन्ना बजरंगी को देख वहां उससे मिलने पहुंचे उसका साला परेशान हो उठा था। सत्यजीत ने तब मीडिया से बातचीत में मुन्ना बजरंगी के जान को खतरा बताया था।
उसने बताया कि प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद से मुन्ना बजरंगी की जान को खतरा बढ़ गया है। उसने कहा था कि मुन्ना बजरंगी को दिल्ली, लखनऊ, गाजीपुर समेत कई स्थानों पर पेशी पर ले जाते समय सुरक्षा व्यवस्था ठीक नहीं रहती है। यह भी कहा था कि झांसी से पीलीभीत लाते समय भी सुरक्षा व्यवस्था ठीक नहीं रही। इससे साफ है कि मुन्ना बजरंगी को जब झांसी से यहां लाया गया तो उसके अपने लोग उस पर निगरानी रख रहे होंगे।
यहां सुरक्षा इतनी मजबूत के परिचित तक की गाड़ी कर दी थी सीज
मुन्ना बजरंगी के यहां जेल में शिफ्ट किए जाने के बाद से ही जिला प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता कर ली थी। जेल व उसके आसपास किसी तरह का कोई संदिग्ध वाहन अथवा व्यक्ति मिलने पर उसकी तलाशी ली जाती थी। तमाम बातें पूछी जाती थी।
अधिकारी भी जेल का निरीक्षण कर हालात का जायजा लेते रहते थे। इसी कड़ी में 12 अप्रैल 2017 को प्रशासनिक अधिकारी जब जेल का मुआयना करने पहुंचे तो वहां एक सफेद रंग की फार्चूनर कार खड़ी देख प्रशासन ने जब उसमें आए लोगों के बारे में पूछा तो मौके पर कोई नहीं मिला। बंद गाड़ी में करीब एक दर्जन मोबाइल पड़े देख प्रशासन का शक और गहराने लगा। बाद में पता चला कि गाड़ी और उसमे रखे मोबाइल जेल में मुन्ना बजरंगी से मुलाकात करने आए कुछ लोगों के ही थे। इसके बाद भी पूरी तहकीकात के बाद ही गाड़ी व मोबाइल प्रशासन ने लौटाए थे।