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…… तो क्या मायावती का कर्ज उतारने के लिए जाया बच्चन के सीट की बलि लेंगे अखिलेश

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 10 सीटों के लिए हो रहे चुनाव के लिए वोटिंग जारी है. कांटे की टक्कर 10वें उम्मीदवार को लेकर है. भारतीय जनता पार्टी और विपक्ष की और से बसपा के उम्मीदवार के बीच एक-एक वोट के लिए मारामारी है. बताया जाता है कि विपक्ष के खेमे में बसपा प्रत्याशी की जीत के लिए बसपा प्रत्याशी से ज्यादा फिक्रमंद अखिलेश यादव हैं क्योंकि मायावती से किया गया वादा और लोकसभा उपचुनाव में बसपा से लिया कर्ज उतारने की बड़ी जिम्मेदारी उनके कंधे पर है. माना तो यहाँ तक जा रहा है कि कहीं ऐसा न हो कि अखिलेश बसपा कैंडिडेट को जीताने के लिए कहीं सपा की अधिकृत प्रत्याशी जया बच्चन की जीत की कुर्बानी ले लें. फिलहाल इन सब बातों से पर्दा कुछ ही घंटों में उठ जायेगा.

जी हाँ सुगबुगाहट इस बात की भी है कि अखिलेश ऐसा भी कर सकते हैं कि राज्यसभा की जो एक सीट सपा की पक्की है, उसके लिए पड़ने वाले वोट को बसपा प्रत्याशी के समर्थन में और द्वितीय वरीयता का वोट जया बच्चन को ट्रान्सफर करने के लिए विधायकों को निर्देश दे दें. ऐसी स्थिति में बसपा के उम्मीदवार की जीत पक्की और जया बच्चन की जीत पर तलवार लटकी रहेगी. बीजेपी अपने नौंवे उम्मीदवार अनिल अग्रवाल को जिताने में कामयाब रहती है तो विपक्ष के दोनों प्रत्याशियों में से किसी एक को ही राज्यसभा पहुंचने का मौका मिलेगा. फिर वो कौन होगा. काफी हद तक यूपी में सपा-बसपा के गठबंधन का भविष्य भी इसपर निर्भर करेगा.

सूबे के मौजूदा विधायकों की संख्या के लिहाज से बीजेपी की 8 राज्यसभा सीटों पर जीत तय है. बीजेपी ने अपने नौंवे उम्मीदवार को जिताने के लिए बकायदा वोटों की रणनीति बनाई है. सूत्रों के मुताबिक मौजूदा वोटों के गणित के अनुसार बीजेपी दो विधायकों का वोट नहीं डलवाएगी. ऐसे में अब राज्यसभा सदस्य के चयन के लिए 36 वोटों की जरूरत होगी. इसका मतलब है कि अब यूपी में कुल 398 वोट ही पड़ेंगे. ऐसे में बीजेपी के पास 8 वोट और भी अतिरिक्त बढ़ जाएंगे.