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जयपुर: ‘स्वच्छता मिशन’ की उड़ी धज्जियां, PM मोदी के कार्यक्रम से पहले खुले में शौच करते नज़र आए लाभार्थी

जयपुर। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे से पहले ‘स्वच्छता मिशन’ की धज्जियां उड़ती दिखी. पीएम मोदी आज जयपुर में तमाम योजनाओं के लाभार्थियों से बात करेंगे. लेकिन इस कार्यक्रम से पहले जयपुर से जो खबर आई है, उसने प्रशासन के होश उड़ा दिए हैं. प्रशासन ने जयपुर की मुहाना मंडी में रोके गए सरकारी योजना के लाभार्थियों के लिए शौचालय तक का इंतज़ाम नहीं किया. जिसके बाद महिलाओं और पुरूषों को खुले में शौच जाने के लिए मजबूर होना पड़ा.

जिस जगह लाभार्थी रुके हैं, वहां एक टैंक लगा दिया है और शौच के लिए कांच की बोतलों का इंतजाम किया गया है. यहां ठहरे कुछ लाभार्थियों से एबीपी न्यूज़ ने बात की तो उन्होंने बताया कि यहां कोई व्यवस्था नहीं है. हम लोग खुले में शौच जाने के लिए मजबूर है. महिलाएं भी खुले में जा रही हैं.

करीब 2.50 लाख लाभार्थियों से बात करेंगे पीएम मोदी

दरअसल पीएम मोदी जयपुर में केन्द्र और प्रदेश सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों से संवाद करेंगे. पीएम मोदी दोपहर 1.05 बजे जयपुर पहुंचेंगे. प्रधानमंत्री अमरूदों के बाग में केन्द्र और प्रदेश सरकार की 12 विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लगभग 2.50 लाख लाभार्थियों के साथ संवाद करेंगे.

लाभार्थियों को जयपुर लाने के लिए करोड़ों खर्च!

सामान्य प्रशासन विभाग के एक आदेश के मुताबिक, 33 जिलों से लाभार्थियों को जयपुर लाने के लिये राज्य सरकार 722.53 लाख रूपये खर्च करेगी. आदेश के मुताबिक लाभार्थियों को जयपुर लाने वाली बसों को 20 रूपये प्रति किलोमीटर का भुगतान किया जायेगा और इससे राजकीय कोष पर लगभग 7.2 करोड़ का खर्च होगा. अधिकतर बसें अलवर, उदयपुर और अजमेर से आने की संभावना है. अकेले जयपुर से लाभार्थियों को लाने के लिये 532 बसें चक्कर लगायेंगी.

एलपीजी खर्च के लिए पैदा हुआ नया विवाद

आदेश के मुताबिक, उज्जवला योजना के तहत पारंपरिक खाना पकाने की जगह एलपीजी सिलेंडर का आंशिक खर्चा तेल कंपनियों की ओर से वहन किया जायेगा. हालांकि एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन ने इस आदेश का विरोध जताते हुए कहा कि जिला रसद अधिकारी उन पर अनुचित और अवैध मांगों का दबाव बना रहे हैं.

राजस्थान के एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन के अध्यक्ष दीपक सिंह गहलोत ने कहा है, ‘’तेल कंपनिया को इस खर्चे को वहन करना चाहिए, लेकिन जिला रसद अधिकारी इन अनुचित और अवैध मांगों को मानने के लिये दबाव बना रहे हैं. हमने मुख्य सचिव को इस बारे में पत्र लिखा है. मुख्य सचिव ने हमें सब तरह की सहायता का भरोसा दिलाया है.’’