नई दिल्ली/जबलपुर। एक व्यक्ति अपने जुनून और जज्बे से पहाड़ को भी चीर देता है. बिहार के रहने वाले दशरथ मांझी ने ‘माउंटन मैन’ बनकर इसे साबित कर दिया था. मांझी की तरह ही अपने इरादे को पूरा करने की जिद रखने वाले एक 70 साल के बुजुर्ग शख्स ने अपने परिवार को पानी की किल्लत से बचाने के लिए असंभव को भी संभव कर दिया. जी हां, छतरपुर के रहने वाले 70 वर्षीय सीताराम राजपूत ने पानी की समस्या से जूझते अपने परिवार और गांव के लिए अकेले ही कुआं खोद दिया. आपको बता दें कि छतरपुर जिले को बुंदेलखंड इलाके में आने वाला सूखा प्रभावित जिला माना जाता है. इस क्षेत्र में पानी की समस्या के कारण पलायन अपने चरम पर है.
समस्या से भागना नहीं है हल
‘समस्या से भागना, समस्या का हल नहीं होता है’ ये कहना है छतरपुर जिले के हदुआ गांव के रहने वाले सीताराम राजपूत का. सीताराम ने कहा कि ‘इसे आप बुंदेलखंड पर श्राप मान सकते हो कि यहां पानी की किल्लत हमेशा से ही रही है. बीते ढाई साल से गांव में ये और भी विकराल रूप ले चुकी है. गांव में हैंडपंप तो हैं, लेकिन सूख चुके हैं. नए हैंडपंप भी जल्द ही सूख जाते हैं. लोगों को गांव से काफी दूर से पानी लाना पड़ता है.’ सीताराम ने बताया कि उन्होंने आजीवन अविवाहित रहने का फैसला लिया और संयुक्त परिवार में अपने भाई के साथ रहते हैं. उन्होंने कहा कि भाई के पास करीब 20 एकड़ जमीन है, लेकिन केवल जमीन से फसल पैदा नही होती है. यहां लोगों को पीने का पानी भी मुश्किल से मिलता है, तो खेती के लिए पानी का इंतजाम करना बड़ी समस्या थी. सीताराम ने बताया कि उन्होंने 2015 में कुआं खोदने का काम शुरू किया था और 2017 में कुएं की खुदाई का काम पूरा कर लिया.
MP: 70-yr-old Sitaram Rajput from Hadua village in Chhatarpur, is single handedly digging out a well to help solve water crisis in village, which the region has been facing since last 2 & a half years, says, ‘No one is helping, neither the govt nor people of the village’. pic.twitter.com/u5dadJYrAq
— ANI (@ANI) May 24, 2018
परिवार ने की रोकने की कोशिश
सीताराम ने कहा कि परिवार के लिए मैंने कुआं खोदने का फैसला किया. उन्होंने बताया कि वे रोज सुबह घर से निकल जाते और देर रात तक कुआं खोदते रहते थे. उन्होंने बताया कि परिवार वालों ने बूढ़े शरीर का हवाला देकर कई बार रोकने की कोशिश की, लेकिन करीब दो साल बाद मेहनत सफल हुई, तो सब खुश हो गए. सीताराम ने बताया कि परिवार की ये खुशी ज्यादा दिन नहीं रह पाई. सरकार और गांव के ही लोगों से मदद नहीं मिलने के चलते कुएं को पक्का नहीं किया जा सका. पिछली बरसात में कुआं पक्का न होने के कारण भरभरा गया. सीताराम का कहना है कि अगर सरकार और लोग मदद करें, तो वे फिर से कुआं खोद सकते हैं. गौरतलब है कि मध्य प्रदेश सरकार ध्वारा किसानों को कुआं खोदने के लिए कपिल धारा योजना के तहत आर्थिक मदद के रूप में 1.8 लाख रुपए जिए जाते है.