Breaking News

इंदौर का चूड़ीवाला तस्लीम अली गिरफ्तार, गोलू बन 13 साल की बच्ची से की थी छेड़खानी

मध्य प्रदेश की इंदौर पुलिस ने 25 वर्षीय तस्लीम अली को गिरफ्तार कर लिया है। उस पर 13 साल की बच्ची से छेड़खानी के आरोप में POCSO एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था। इससे पहले वायरल वीडियो के आधार पर उसके साथ मारपीट करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (पूर्व) शशिकांत कंकाने ने उसकी गिरफ्तारी की पुष्टि की है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक बुधवार को उसे कोर्ट में पेश किया जा सकता है। एएसपी ईस्ट जोन-3 प्रशांत चौबे का कहना है कि अली की रिमांड कोर्ट से पुलिस नहीं माँगेगी। वहीं उसके छोटे भाई जमाल अली ने कहा है कि परिवार को उससे नहीं मिलने दिया गया है।

ज्ञात हो कि यह घटना तब सुर्खियों में आई थी जब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक वीडियो साझा किया गया, जिसमें चूड़ी विक्रेता तस्लीम अली को लोगों के एक समूह द्वारा पीटते हुए दिखाया गया था। वीडियो में एक शख्स उसकी पिटाई कर रहा था और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए उकसा रहा था। इस वीडियो पर नेटिजन्स के एक वर्ग ने जमकर भड़ास निकाली थी।

बाद में मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बताया था कि उसके पास से दो आधार कार्ड मिले थे और वह अपनी पहचान छिपाकर चूड़ी बेच रहा था। इस मामले में 13 साल की नाबालिग ने अपनी शिकायत में कहा था कि 22 अगस्त को गोलू बनकर तस्लीम अली उसके घर आया था और उसके साथ छेड़खानी की। नाबालिग लड़की ने कहा था कि अली ने उसे चूड़ियाँ बेचने के लिए अपनी पहचान छुपाई और ‘आधा जला’ आधार कार्ड दिखाते हुए खुद को गोलू बताया। लड़की ने कहा, “वह रविवार दोपहर करीब 2 बजे हमारे घर आया था, जब मेरे पिता बाहर थे। उसने अपनी पहचान गोलू के रूप में बताई और आधा जला हुआ आधार कार्ड दिखाया। हमने उससे चूड़ियाँ खरीदना शुरू किया। जैसे ही मेरी माँ पैसे लेने गई, चूड़ी-विक्रेता ने मुझे गंदी नजर से देखते हुए मेरा हाथ पकड़ कर कहा, “मैं तुम्हें चूड़ियाँ पहनने में मदद करूँगा’। उसने मेरे गालों को भी गलत तरीके से छुआ।”

पीड़िता का कहना था कि जब आरोपित ने उसे छुआ तो वह चीख पड़ी। इससे पीड़िता की माँ घबरा गई और उसे बचाने के लिए दौड़ी, जिसके बाद अली ने कथित तौर पर लड़की को धमकाया और भाग गया। इस बीच पड़ोसियों और स्थानीय लोगों ने उसे पकड़ लिया। इंदौर पुलिस ने आरोपित के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (POCSO) और IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी) और 471 (फर्जी दस्तावेजों को असली के रूप में उपयोग करना) के तहत मामला दर्ज किया था।