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आप के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन की जमानत याचिका खारिज, कोर्ट से नहीं मिली कोई राहत

नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों से संबंधित प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच किए जा रहे मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आप के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने कहा: “प्रथम दृष्टया शिकायत और रिकॉर्ड में रखी गई सामग्री को पढ़ने और धारा 45 (1) पीएमएलए के प्रतिबंध को देखते हुए, यह नहीं माना जा सकता है कि आवेदक कथित अपराधों का दोषी नहीं है या उसके जमानत पर रहते हुए ऐसा कोई अपराध करने की संभावना नहीं है। अदालत ने कहा कि पीएमएलए की धारा 50 के तहत गवाहों और यहां तक ​​कि आरोपी/आवेदक के बयान दर्ज हैं जो स्वीकार्य हैं।

कोर्ट ने ईडी के विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) एनके मट्टा द्वारा दी गई दलीलों को स्वीकार किया कि आरोपी के खिलाफ रिकॉर्ड पर पर्याप्त सामग्री है और उनके खिलाफ धनशोधन का मामला बनता है। एसपीपी ने यह भी दलील दी कि आरोपी के दंगों के वित्तपोषण में शामिल होने के संबंध में पर्याप्त सबूत और गवाह हैं। मट्टा ने अदालत में कहा कि आरोपी ने अन्य आरोपियों को दंगा करने और हथियार खरीदने के लिए पैसे दिए। बचाव पक्ष के वकील ने जमानत अर्जी में दावा किया था कि उनके मुवक्किल के खिलाफ धनशोधन का कोई मामला नहीं बनता है। उन्होंने दलील दी कि ईडी के मामले का आधार फर्जी चालान पर 1.5 करोड़ रुपये का कथित लेनदेन था। उन्होंने दलील दी थी कि उनके मुवक्किल के खिलाफ फर्जी चालान के जरिए लेनदेन के लिए केवल ‘जीएसटी’ का मामला बनता है।

गौरतलब है कि उत्तर पूर्वी दिल्ली में 23 फरवरी से 26 फरवरी 2020 के बीच भड़की हिंसा के दौरान दंगाइयों ने जमकर उत्पात मचाया था। दर्जनों घरों और दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया था। इस हिंसा में 53 लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी। दंगों के मामले में कुल 755 एफआईआर दर्ज किए गए थे। इसके साथ ही जांच के दौरान 1818 लोगों की गिरफ्तारी भी हुई थी। ईडी ने दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज एक मामले के आधार पर हुसैन और अन्य के खिलाफ धनशोधन रोकथाम (पीएमएलए) अधिनियम के तहत शिकायत दर्ज की थी। हुसैन फरवरी 2020 में हुए दंगों से जुड़े मामले में मुख्य आरोपियों में से एक हैं।