लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) में छिड़े गृहयुद्ध का फायदा मूल रूप से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को मिलेगा। यदि ऐसा हुआ तो बसपा सुप्रीमो मायावती 5वीं बार यूपी की मुख्यमंत्री बनेंगी। पिछले करीब एक महीने सपा में अंतर्कलह जारी है। सूत्रों की मानें तो सपा में अंतर्कलह होने की वजह से मुस्लिमों का ध्यान भटकेगा। वहीं, यदि ये कलह कुछ और दिन जारी रही तो यादवों का ध्यान भी भटकना लाजमी है।
ये बता तो सभी जानते हैं कि सपा मुस्लिम, यादव यानी एमवाई समीकरण से चुनाव लड़ती है। ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि क्या मुस्लिम वोटों का बिखराव होगा? होगा तो उसका किसे फायदा मिलेगा? जानकार कह रहे हैं कि इसका बड़ा लाभ बसपा उठाएगी।
सभी पार्टियों के पास मुस्लिम चेहरे हैं, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि 2012 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम बाहुल्य वाले क्षेत्रों में सबसे ज्यादा 48 फीसदी सीटें सपा ने हासिल की थीं। बसपा के साथ करीब 18 फीसदी मुस्लिम थे, जबकि 2007 में ऐसे क्षेत्रों में 44 फीसदी सीटें बसपा के खाते में गई थीं।
यूपी में करीब 19 फीसदी मुस्लिम वोट बैंक है। पारंपरिक रूप से यह सपा का वोट माना जाता है इसलिए सपा के कलह में बसपा इस वोट में अपना अवसर देख रही है। मायावती इस वोट को अपनी तरफ लाने के लिए बार-बार बयान दे रही हैं। उनका मानना है कि 21-22 फीसदी दलित और 19 फीसदी मुस्लिम वोटों का बड़ा हिस्सा उन्हें मिल जाए तो वह पांचवीं बार सीएम बन सकती हैं।