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सुलझने के बजाय उलझता जा रहा मुलायम परिवार का झगड़ा, न ही बाप झुकने को तैयार और न ही बेटा

mulayam-akhilesh-warलखनऊ। यूपी में पिता-पुत्र के कम्प्रोमाइज के लिए सपा की सबसे बड़ी पंचायत मुलायम और अखिलेश दोनों से मिलने गयी. लेकिन बाप-बेटे के तेवर देखकर पंच परमेश्वर पंच भक्तेश्वर हो गए. दरअसल बाप-बेटे को समझाने गए ये पंच परमेश्वर न ही मुलायम से सही बात कहने का सहस जूता सके और न ही अखिलेश से. बताया जाता है कि इन परमेश्वर दोनों ही ओर के तेवर देखकर अपने -अपने निजी स्वार्थों के चलते न ही बाप को सही सलाह दे सके ओर न ही सीएम अखिलेश को.

जिसके चलते यूपी के सबसे बड़े राजनीतिक घराने में पिछले कई हफ़्तों से चल रहा विवाद अब और बढ़ता नजर आ रहा है. सूत्रों के मुताबिक इन पांच परमेश्वरों में मुलायम के पुराने साथी बेनी प्रसाद वर्मा, रेवती रमण सिंह, मुलायम के करीबी दोस्त किरनमय नंदा, सांसद नरेश अग्रवाल और विधान परिषद् अध्यक्ष माता प्रसाद पांडे शामिल थे. बताया जाता है कि नरेश अग्रवाल ने सोचा कि अगर वह बेबाक अपनी राय दे दें तो अखिलेश कि नाराजगी से उनके काम बिगड़ सकते हैं. और अगर मुलायम को कोई बात ईमानदारी से कह दें तो वह भी उनसे नाराज हो सकते हैं. नतीजतन वह बाप – बेटे का मूड सही न देखकर कुछ भी नहीं बोले.

इसी तरह मुलायम के पुराने मित्र और पार्टी के फाइनेंसर किरनमय नंदा ने भी किसी से कुछ नहीं कहा. उनका निजी स्वार्थ यह है कि अगर सरकार बनती है तो उनके तमाम काम पड़ने हैं. इसलिए वह भी बाप और बेटे के तेवर देखकर बिना कुछ समझाए लौट आये. यही नहीं लंबे समय बाद पार्टी में कई जगहों से धक्के खाकर लौटे मुलायम के पुराने साथी बेनी प्रसाद वर्मा घर कि हवा का रुख ही भांपते नजर आये. यही हाल रेवती रमण सिंह और माता प्रसाद पांडे का रहा. ये लोग भी बाप – बेटे को समझाकर किसी को नाराज नहीं करना चाहते थे. कुल मिलाकर बाप – बेटे के बिच खिंची तलवारों के पंच परमेश्वर अपने -अपने निजी स्वार्थ के चलते चुप्पी साढ़े रहे.

सूत्रों के मुताबिक इन परमेश्वरों को कायदे से दोनों को एक बन्द कमरे में बैठकर अपना -अपना गिला सिकवा निपटने की सलाह देनी चाहिए थी. इस मामले में न ही शिवपाल, राम गोपाल और न ही आज़म खान किसी को आने की इजाजत दिए बगैर सिर्फ अखिलेश और मुलायम को बिना किसी तीसरे व्यक्ति के खुद बैठकर मामला सुलटाने की सलाह देनी चाहिए थी. फिलहाल यही सलाह देने गए ये पंच परमेश्वर बाप- बेटे का चढ़ा पारा देखकर कुछ भी नहीं बोलने की हिम्मत नहीं जुटा सके.

पार्टी सूत्रों के मुताबिक इसलिए सपा कि क्राइसेस और भी बढ़ गयी है. क्योंकि मुलायम और अखिलेश का जो मूड दिख रहा है. उसमें न तो बाप एक कदम पीछे हटने को तैयार है और न ही पुत्र अखिलेश. जिसके चलते पार्टी को लगातार भारी नुकसान हो रहा है. बहरहाल सबसे बड़ी पंचायत के परमेश्वर अपने -अपने निजी स्वार्थ को लेकर न ही बाप से कुछ बोल पाए और न ही बेटे को ही कुछ समझा पाए.