लखनऊ। नोएडा के अरबपति इंजीनियर यादव सिंह गिरफ्तार कर लिए गए हैं। सीबीआई ने भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किया है। यादव सिंह पर करोड़ों रुपये के घोटाले का आरोप है। यादव सिंह पर आरोप है कि इसने यूपी के सबसे अमीर विभाग नोएडा प्राधिकरण में चीफ इंजीनियर रहते हुए कई सौ करोड़ रुपये घूस लेकर ठेकेदारों को टेंडर बांटे। नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस अथॉरिटी के इंजीनियर रहते हुए यादव सिंह की सभी तरह के टेंडर और पैसों के आवंटन में बड़ी भूमिका होती थी।
यादव सिंह गिरफ्तार होने से कई राजनेताओं के पसीने छूटने लगे हैं। दरअसल, यूपी के कई बड़े राजनेताओं का उस पर हाथ था। मौजूदा समय यूपी सरकार में एक कैबिनेट मंत्री और उनके बेटे की भी यादव सिंह से मिलीभगत की बातें सामने आई थीं, लेकिन बाद में मामले को दबा दिया गया। यादव सिंह गिरफ्तार होने से पहले उसके ठिकाने पर जब इनकम टैक्स विभाग का छापा पड़ा तो वहां उसके पास अरबों रुपये के बंगले, गाड़ियां, शेयर, जेवराज, जमीन और कंपनियों का पता चला था।
नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे के पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह और उनके परिवार के पास लगभग 250 करोड़ रुपए की सम्पत्ति होने का पता सीबीआई को चला है। सीबीआई ने मुश्किल से पांच माह पहले ही उनके खिलाफ कथित भ्रष्टाचार और आय से अधिक सम्पत्ति मामले की जांच शुरू की। इन सम्पत्तियों में से अधिकांश सम्पत्ति नोएडा और दिल्ली के पॉश इलाकों में है। जांच से जुड़े सीबीआई के एक अधिकारी ने कहा है कि उन्होंने कई राजनीतिकों और ब्यूरोक्रेट्स के आय से अधिक सम्पत्ति मामलों की जांच की है। लेकिन व्यक्तिगत रूप से इतनी बड़ी सम्पत्ति होने का यह मामला कई दशकों का सम्भवत: पहला मामला है। सीबीआई काफी समय यादव सिंह गिरफ्तारी की कोशिश में थी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश के बाद सीबीआई ने घोटाले को लेकर दो एफआईआर दर्ज की थी इसमें पहली एफआईआर में यादव सिंह को आरोपी बनाया गया था। जबकि दूसरी एफआईआर में उनके परिवार के सदस्यों व पार्टनर को आरोपी बनाया गया है। इसके बाद सीबीआई ने उनके नोएडा में स्थित मकान पर छापेमारी की थी। जिसे केस प्रॉपर्टी मानते हुए सील कर दिया गया था। अब एजेंसी ने यादव सिंह के मामले में और सबूत जुटाने के लिए दिल्ली और गाजियाबाद के ठिकानों पर छापेमारी की थी। सीबीआई यादव सिंह गिरफ्तार करने की कवायद में लगी थी।
यादव सिंह के खिलाफ सीबीआई जांच रुकवाने केलिए सुप्रीम कोर्ट मेंं प्रदेश सरकार की तरफ से दाखिल की गई याचिका खारिज कर दी गई। हाईकोर्ट का फैसला ही बरकरार रहा। सरकार बैकफुट पर आ गई। हाईकोर्ट ने टिप्पणी की थी ‘यादव सिंह ने पूरे सिस्टम को अपना दास बनाकर भ्रष्टाचार किया। हाई कोर्ट ने नाम नहीं लिया लेकिन यह टिप्पणी भी की कि यादव सिंह को बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी दोनों की सरकारों में भरपूर संरक्षण मिला। उन्हीं नामों का खुलासा करने के लिए जांच सीबीआई को दी गई। हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई। सरकार नहींं चाहती थी कि यादव सिंह के खिलाफ सीबीआई जांच हो। प्रदेश सरकार तब सुप्रीम कोर्ट गई जब सीबीआई ने यादव सिंह के खिलाफ जांच शुरू कर दी थी। यादव सिंह पर सरकार का शुरू से सरंक्षण रहा है।