लखनऊ। मुजफ्फरनगर दंगे को लेकर एक निजी चैनल की ओर से 17-18 सितंबर 2013 को दिखाया गया स्टिंग ऑपरेशन गलत था। इसमें कहा गया था कि आजम खां के दबाव के चलते कई संदिग्ध छोड़ दिए गए थे। एफआईआर बदली गई थी। यूपी विधानसभा की जांच समिति ने इन तथ्यों को गलत पाया है। चैनल के अधिकारियों और पत्रकारों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करने की सिफारिश की गई है।
अगस्त-सितंबर 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों में सैकड़ों की जानें गई थीं। इस संदर्भ में एक निजी नैशनल चैनल ने ‘ऑपरेशन दंगा’ नाम से स्टिंग ऑपरेशन का प्रसारण किया था। इसे ग्रुप के हिंदी और अंग्रेजी दोनों ही चैनल पर इसका प्रसारण किया गया था।
‘जो हो रहा है होने दो’
स्टिंग ऑपरेशन में दिखाया गया कि दंगों के मुख्य संदिग्धों को राजनैतिक दबाव के कारण रिहा कर दिया गया जिसके कारण यह दंगे भड़के। यह भी दिखाया गया तत्कालीन डीएम को संदिग्धों की तलाशी के कारण ट्रांसफर कर दिया गया। राजनैतिक दबाव के कारण दंगों की एफआईआर बदली गई।
खास तौर पर आजम खां का नाम लेते हुए दिखाया गया कि संबंधित अधिकारियों को उन्होंने फोन किया जिसके चलते रिहाई हुई। स्टिंग में दिखाया गया कि फुगाना थाने में सेकंड अफसर के अनुसार बड़े नेता ने कहा जो हो रहा है उसको होने दो। 7-8 संदिग्धों को रिहा किया गया। इसके अनुसार दंगा भड़काने में सियासत की बड़ी भूमिका थी।
गौरतलब है कि 49 बैठकों के बाद ये जांच रिपोर्ट रखी गई है। इसमें 11 प्रशासनिक अधिकारियों, 18 चैनल से जुड़े लोगों और 5 एक्सपर्ट्स की गवाही है। चैनल के खिलाफ केबल टेलिविजन नेटवर्क रेग्युलेशन की धाराओं में कार्रवाई के लिए कहा गया है।